सिंधिया की राज्यसभा सीट पर केपी यादव को मौका शाह दे चुके संकेत
भोपाल
लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर में बड़ा बदलाव हो गया है। कहीं विधानसभा सीटें रिक्त हो गई हैं, तो कहीं राज्यसभा सीटों पर भी निर्वाचन होगा। सत्तारूढ़ भाजपा सहित कांग्रेस भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। ऐसे में एक सीट काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। वह है मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट, जो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिक्त हो गई है। अब इस रिक्त सीट पर उपचुनाव होना है। ऐसे में सवाल है कि भाजपा की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कौन लेगा? दावेदारों के नाम सामने आने लगे है।
भाजपा के खाते में तय है यह सीट
मध्य प्रदेश में वर्तमान में विधानसभा में सदस्य संख्या के हिसाब से देखा जाए तो खाली होने वाली राज्यसभा की सीट फिर भाजपा के खाते में जाना तय मानी जा रही है। भाजपा इस सीट से किसी वरिष्ठ नेता को राज्यसभा भेजने का मन बना रही है। इससे पहले फरवरी 2024 में मध्य प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने दलित, ओबीसी और महिला कार्ड खेला था। इस बार भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश के किसी सामान्य वर्ग के नेता को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। ऐसे में इस बार संभावना जताई जा रही है कि ठाकुर या ब्राह्मण कोटे से यह पद भरा जा सकता है।
पूर्व सांसद केपी यादव रेस में आगे
हालांकि गुना लोकसभा सीट से पूर्व सांसद केपी यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट दिया गया था। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अशोक नगर में केंद्रीय मंत्री अमित शाह एक सभा में पूर्व सांसद केपी यादव को दिल्ली ले जाने का संकेत दे चुके हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा यादव को राज्यसभा का टिकट दे सकती है। ऐसे में सबसे पहली दावेदारी केपी के नाम की है, लेकिन वे ओबीसी वर्ग से आते हैं।
अप्रैल में ये गए हैं राज्यसभा
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के 5 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को समाप्त हुआ था। इसमें भाजपा के चार सांसद धर्मेंद्र प्रधान, डॉ. एल मुरुगन, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी थे, जबकि कांग्रेस के राजमणि पटेल राज्यसभा सांसद थे। तब भाजपा ने 4 सीटों में से 3 पर ओबीसी से बंशीलाल गुर्जर, दलित समाज से उमेश नाथ महाराज और महिला कोटे से माया नारोलिया को उम्मीदवार बनाया और राज्यसभा में भेजा। डॉ मुरुगन को फिर से मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा में भेजा था। इस बार जातीय समीकरण के हिसाब से अब ठाकुर या ब्राह्मण को मौका दिया जा सकता है।
यह नाम सबसे उपर
पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, राम मंदिर अभियान के प्रमुख नाम पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और शिवराज सिंह चौहान के लिए विदिशा से सीट छोड़ने वाले पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव का नाम सबसे उपर है। अगर सामान्य कार्ड नहीं चला तो पूर्व सांसद केपी यादव के नाम पर विचार किया जाएगा।
जातीय समीकरण पर होगा ध्यान
माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की खाली लोकसभा सीट पर बीजेपी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए ही अपने प्रत्याशी का चयन करेगी. क्योंकि हाल ही में तीन राज्यसभा सीटों पर भी बीजेपी जातीय समीकरणों का पूरा ध्यान रखा था. पार्टी ने तीन राज्यसभा सीटों पर ओबीसी, अनुसूचित जाति और महिला प्रत्याशी को मौका दिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी इस बार किसी सवर्ण को मौका देगी. इसके अलावा बीजेपी किसी नए और चौंकाने वाले चेहरे को भी मौका दे सकती है.
पवैया और भार्गव भी दावेदार
इसके अलावा पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव भी दावेदार हैं. क्योंकि सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद उनके समर्थक भी बड़ी संख्या में भाजपा में आए थे. ऐसे में जयभान सिंह पवैया लंबे समय से न तो कोई चुनाव लड़ पाए और न ही उन्हें पार्टी में कोई दूसरा मौका मिला था. जबकि वह बीजेपी के फॉयरब्रांड नेता माने जाते हैं. पवैया बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं और राम मंदिर आंदोलन के दौरान सक्रिए थे. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें राज्यसभा भेज सकती है. वहीं एक और दावेदार विदिशा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव हैं, भार्गव ने अपनी सीट पूर्व सीएम के लिए खाली की थी. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी सर्वण चेहरे के तौर पर उन्हें भी भेज सकती है.