‘सोचेंगे, समझेंगे और काम भी करेंगे’ — इंसानों जैसे स्किल्स वाले AI रोबोट्स की दस्तक

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नई दिल्ली

रोबोट्स ने इंसानों का काम आसान कर दिया है। ये इंस्ट्रक्शन पाकर काम करते हैं। मसलन, आप इन्हें सफाई करने को कहेंगे तो ये आपके कहे मुताबिक साफ-सफाई शुरू कर देंगे। लेकिन हर बार रोबोट को ये बताने की जरूरत पड़ती है कि उसे क्या काम करना है। वह खुद-ब-खुद फैसला नहीं कर पाता है कि उसका गला काम क्या है। लेकिन अब एक रोबोटिक्स स्टार्टअप ने ऐसा AI मॉडल विकसित कर लिया है, जो किसी भी रोबोट के साथ इंटीग्रेट होकर उसे इंसानों की तरह सोचने की क्षमता देगा। हालांकि, ये किसी भी लिहाज से खतरनाक नहीं होने वाले, क्योंकि इनकी पावर लिमिट भी सेट की गई है।

'स्किल्ड ब्रेन' AI मॉडल हुआ तैयार
दरअसल, Amazon.com और जापान के सॉफ्टबैंक सपोर्टेड रोबोटिक्स स्टार्टअप स्किल्ड AI ने एक रोबोट मॉडल बनाया है। इसका नाम 'स्किल्ड ब्रेन' रखा गया है, जो रोबोट्स को सोचने, नेविगेट करने और रिएक्ट करने की क्षमता से लैस करेगा। खुद के सोचने की क्षमता हासिल कर ये अपने-आप ही काम करने लगता है। यह AI मॉडल असेंबली लाइन मशीनों से लेकर ह्युमनोइड रोबोट्स तक में इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक्स्ट्रा स्मार्ट होंगे रोबोट्स
स्किल्ड ब्रेन मॉडल को डेवलप करने का उद्देश्य रोबोट्स को पहले से ज्यादा स्मार्ट बनाना है। इसे एक उदाहरण के जरिए समझें, जैसे- फैक्ट्रियों या मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में काम करने वाले रोबॉट्स केवल सामान पैक करने का काम करते हैं। लेकिन स्किल्ड ब्रेन AI मॉडल से लैस होकर ये रोबोट्स दूसरे काम भी कर सकते हैं। सीढ़ियों से सामान ढोने जैसे कई का काम कर पाएंगे।

रिस्की नहीं होंगे 'स्किल्ड ब्रेन' वाले AI मॉडल
मशीनों के साथ काम करने में थोड़ा रिस्क भी होता है, कई बार वे इंसानों के लिए ही घातक हो जाती हैं। लेकिन स्किल्ड स्टार्टअप ने अपने AI मॉडल में सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा है। AI मॉडल की एक पावर लिमिट तय की गई है, यह उससे आगे नहीं जा सकता है। जैसे ये किसी चीज को पुश कर रहा है तो उतना ही धकेल पाएगा जितना कि एक इंसान धकेल पाता है। इससे यह चीजों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा और इंसानों का भरोसेमंद साथी हो सकता है।

इंसानों के तौर-तरीके देखकर हो रहे ट्रेन
स्किल्ड के को-फाउंडर दीपक पाठक और अभिनव गुप्ता ने रॉयटर्स को एक इंटरव्यू मे बताया कि बताया कि रोबोटिक्स में एक बड़ी समस्या है कि यहां डेटा की कमी है। इंटरनेट पर आपको लैंग्वेज या इमेज का तो खूब सारा डेटा मिल जाता है, लेकिन रोबोटिक्स के साथ ऐसा नहीं है। स्किल्ड इसी दिक्कत को सुलझाने के लिए अपने AI मॉडल को वीडियो के जरिए इंसानों के काम करने के तरीके दिखा रहा है। इसी से इन्हें ट्रेन किया जा रहा है, यानी ये भी कहा जा सकता है कि इंसानों से सीख कर ही इंसानों को टक्कर देने के लिए रोबोट्स तैयार हो रहे हैं।

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