ब्रिक्स के डर में ट्रंप ने लगाए टैरिफ, अब खुला क्यों है उनका असली मकसद!
वॉशिंगटन
भारत, रूस, चीन और ब्राजील जैसी दुनिया की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं का मंच ब्रिक्स हमेशा से अमेरिका के लिए टेंशन की वजह रहा है। इससे डोनाल्ड ट्रंप अब भी उबर नहीं पाए हैं और उन्होंने खुद इस बात की पुष्टि की है। उनका कहना है कि ब्रिक्स ब्लॉक डॉलर पर सीधा हमला है। इसीलिए उन्होंने ब्रिक्स देशों के खिलाफ टैरिफ ऐक्शन लिया है। वाइट हाउस में मीडिया से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि अब ऐक्शन के बाद से ब्रिक्स के मेंबर देश ग्रुप ही छोड़कर भाग रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स देश एक नई व्यवस्था लाना चाहते थे ताकि अमेरिकी डॉलर को रिप्लेस किया जा सके।
ट्रंप ने कहा, 'मैं साफ कहा कि जो भी ब्रिक्स जॉइन करना चाहता है कर ले, लेकिन हम उन पर टैरिफ लगाते रहेंगे। इसके डर से सारे निकल गए। अब वे लोग ब्रिक्स से बाहर निकल रहे हैं।' डोनाल्ड ट्रंप ने जब यह टिप्पणी की, उस दौरान अर्जेंटीना के प्राइम मिनिस्टर जैवियर मिलेई भी बैठे थे। उन्होंने कहा कि हम डॉलर के प्रति समर्पित हैं। जो भी डॉलर में डील करेगा, उसे वे फायदे मिलेंगे, जो दूसरे लोगों के पास नहीं होंगे। ब्रिक्स तो डॉलर पर सीधा हमला था। मैंने साफ किया कि यदि आप गेम खेलेंगे तो मैं टैरिफ लगाऊंगा। उन सभी उत्पादों पर यह लगेगा, जो अमेरिका आते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि हम इससे निकल रहे हैं। अब वे ब्रिक्स के बारे में बात भी नहीं करते।'
दरअसल यह चर्चाएं रही हैं कि ब्रिक्स देशों की ओर से डॉलर का एक विकल्प तैयार करने की कोशिशें हो रही हैं। इसी संदर्भ में डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान था और उनका कहना था कि ऐसी कोई भी कोशिश सीधे तौर पर डॉलर पर अटैक है। ऐसा करना अमेरिका की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास है, जो हम नहीं होने देंगे। ब्रिक्स में भारत, रूस, ब्राजील, चीन और साउथ अफ्रीका रहे हैं। इन 5 देशों की ही इसमें सहभागिता रही है, लेकिन अब इसका विस्तार हुआ है। बीते कुछ सालों में मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात भी इसका हिस्सा बने हैं।
डोनाल्ड ट्रंप फिलहाल विदेश नीति में टैरिफ का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी के तहत उन्होंने चीन, भारत समेत दुनिया के तमाम देशों पर टैरिफ लादे हैं। यही नहीं उनकी धमकी है कि यदि कोई ब्रिक्स का हिस्सा बनता है तो उस पर 10 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगेगा। बता दें कि भारत ने स्पष्ट किया है कि डॉलर को कमजोर करने की कोई रणनीति नहीं है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि हमें डॉलर से कोई परेशानी नहीं है और हम उसके साथ हैं। ऐसी चर्चाएं बेबुनियाद हैं और ऐसा कोई प्रयास भी नहीं हुआ है।