फिर रूस साबित हुआ सच्चा दोस्त, 6 और न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने में भारत की करेगा मदद

Share on Social Media

नईदिल्ली

अब इस मौके पर फैसले को लेकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉस्को की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनके आधिकारिक निवास स्थान क्रेमलिन में मुलाकात की थी। यहां दोनों नेताओं ने यहां चाय पर चर्चा की और बाद में द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया, जिसमें रूसी सरकार के स्वामित्व वाले रोसाटॉम ने 6 नए न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बनाने भारत की मदद करने की पेशकश की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा के दौरान, नई दिल्ली और मॉस्को ने व्यापार, ऊर्जा, जलवायु और अनुसंधान सहित कई क्षेत्रों में 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई बड़ी परियोजनाओं को लेकर सहमति बनी, जिसमें रूस के सहयोग से भारत में 6 नए न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बनाने पर भी बातचीत हुई. रूस की परमाणु ऊर्जा एजेंसी रोसाटॉम (Rosatom) इन न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को बनाने में भारत की मदद करेगी. बता दें कि रूसी एजेंसी पहले भी कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (KKNPP) को स्थापित करने में भारत की मदद कर चुकी है.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉस्को की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनके आधिकारिक निवास स्थान क्रेमलिन में मुलाकात की थी. दोनों नेताओं ने यहां चाय पर चर्चा की और बाद में द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लिया, जिसमें रूसी सरकार के स्वामित्व वाले रोसाटॉम ने 6 नए न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बनाने भारत की मदद करने की पेशकश की. इसके अलावा रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (Russian Direct Investment Fund) ने फार्मा, जहाज निर्माण और शिक्षा क्षेत्र में भारत के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए. 

रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक ने दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने पर पेमेंट फ्लो को आसान बनाने के प्रयासों पर भारत के साथ बात की. रोसाटॉम ने एक बयान में कहा कि भारत के साथ सहयोग के नए क्षेत्रों पर चर्चा की जा रही है- एक नई साइट पर रूसी डिजाइन की 6 और हाई-पावर न्यूक्लियर यूनिट्स का निर्माण और कुछ छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने में भारत का सहयोग करने पर हमारी बातचीत हुई है. इसी साल मई महीने में रोसाटॉम ने भारत को फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNPP) के निर्माण और संचालन की तकनीक ऑफर की थी.

रूस के पास है फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट

वर्तमान में रूस ही दुनिया का एकमात्र देश है जिसके पास पानी पर तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र है. इस परमाणु संयंत्र को एकेडेमिक लोमोनोसोव जहाज (Akademik Lomonosov) पर असेंबल किया गया है. रूस के पेवेक में बिजली सप्लाई इसी फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट से हो रही है. पेवेक नॉर्थ आर्कटिक में स्थित रूस का एक बंदरगाह शहर है. रूस के अलावा अन्य कोई देश अब तक फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट की तकनीक विकसित नहीं कर सका है. इस तरह के संयंत्र से दूरदराज के क्षेत्रों या समुद्र में स्थित द्वीपों तक भी निर्बाध बिजली सप्लाई की जा सकती है.

​रोसाटॉम और भारत उत्तरी समुद्री मार्ग (Northern Sea Route) की ट्रांजिट क्षमता को विकसित करने पर भी चर्चा कर रहे हैं. यह समुद्री मार्ग नॉर्वे के साथ रूस की सीमा के पास मरमंस्क से पूर्व की ओर अलास्का के पास बेरिंग जलडमरूमध्य तक फैला है. इस सी रूट का विशेष रूप से रूसी तेल, कोयला और लिक्विड नेचुरल गैस की आपूर्ति के लिहाज से काफी  महत्व है. रूस को उम्मीद है कि एनएसआर के जरिए वह 2030 तक 150 मिलियन मीट्रिक टन का परिवहन कर सकेगा, जो इस वर्ष  80 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक रहा है.

रूस के सहयोग से बना है कुडनकुलम संयंत्र 

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Kudankulam NPP or KKNPP) भारत का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर स्टेशन है, जो दक्षिणी भारतीय राज्य तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम में स्थित है. भारत और रूस के बीच हुए समझौते के तहत लगभग दो दशक पहले (31 मार्च, 2002) इस संयंत्र की पहली दो इकाइयों का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन स्थानीय मछुआरों के विरोध के कारण इसे देरी का सामना करना पड़ा. इस न्यूक्लियर पावर प्लांट में रूसी द्वारा डिजाइन  किए गए VVER-1000 रिएक्टरों का उपयोग होता है. 

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र से 6,000 मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना है. इस संयंत्र में रूस की सरकारी कंपनी एटमस्ट्रॉयएक्सपोर्ट (Atomstroyexport) और न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) के सहयोग से छह VVER-1000 रिएक्टर बनाए जाने हैं, जिनमें से दो रिएक्टरों का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है और उनसे बिजली उत्पादन भी हो रहा है. यूनिट 1 को 22 अक्टूबर 2013 को दक्षिणी पावर ग्रिड के साथ सिंक्रनाइज किया गया था और तब से यह, 1000 मेगावाट की अपनी निर्धारित क्षमता के साथ बिजली पैदा कर रहा है.

यूनिट 2 का काम 10 जुलाई 2016 को पूरा हुआ था और इसी साल 29 अगस्त को इसे पावर ग्रिड के साथ सिंक्रनाइज किया गया. यूनिट 3 और 4 के निर्माण के लिए ग्राउंड-ब्रेकिंग सेरेमनी 17 फरवरी 2016 को किया गया था और ये दोनों रिएक्टर निर्माणाधीन है. यह भारत में सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा उत्पादन संयंत्र है जो अपने सभी 6 रिएक्टरों के चालू हो जाने के बाद 6 गीगावाट (1 गीगावाट = 1000 मेगावाट) इलेक्ट्रिसिटी का प्रोडक्शन करता है. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की दोनों इकाइयां वाटर-कूल, वाटर-मॉडरेटेड रिएक्टर हैं. स्थानीय लोग 1979 में प्रस्तावित होने के बाद से ही इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे.

कुडनकुलम परमाणु संयंत्र का हुआ था विरोध

विरोध के कारण इस परियोजना को रोक दिया गया था. हालांकि, वर्ष 2000 में इस पर दोबारा काम शुरू हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण शुरू हुआ. 2011 में, जापान के फुकुशिमा दाइची परमाणु दुर्घटना के बाद कुडुकुलम संयंत्र के आसपास के हजारों लोगों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने तमिलनाडु में भी फुकुशिमा जैसी परमाणु आपदा की आशंका जतायी. हालांकि, 2012 में, भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. श्रीकुमार बनर्जी ने इस संयंत्र को दुनिया के सबसे सुरक्षित न्यूक्लियर प्लांट में से एक बताया था.

वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी जिसमें सुरक्षा चिंताओं का मूल्यांकन होने तक  कुडुकुलम संयंत्र में नए रिएक्टरों के निर्माण और पहले से स्थापित रिएक्टर से बिजली उत्पादन रोकने की मांग की गई थी. 
24 फरवरी 2012 को, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस परमाणु बिजली संयंत्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के पीछे कुछ विदेशी एनजीओ का हाथ बताया था. जांच में पता चला था कि तीन एनजीओ ने विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन करते हुए, धार्मिक और सामाजिक कारणों के लिए मिले डोनेशन का इस्तेमाल कुडुकुलम संयंत्र के खिलाफ विरोध भड़काने में किया. 

सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में प्रोजेक्ट को दी हरी झंडी

दक्षिण भारत के चर्च और नेशनल काउंसिल ऑफ चर्च ने बिजली संयंत्र का विरोध किया और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया. बिजली संयंत्र और सरकार के समर्थकों ने आरोप लगाया कि कुडुकुलम संयंत्र के खिलाफ विरोध चर्चों द्वारा उकसाया गया था और विदेशी स्रोतों द्वारा इसे वित्त पोषित किया गया था. तमिलनाडु सरकार ने चार सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का गठन किया जिसने संयंत्र की सुरक्षा सुविधाओं का निरीक्षण करने के बाद एक रिपोर्ट सौंपी. तमिलनाडु सरकार ने राज्य में बिजली की भारी कमी के मद्देनजर इस संयंत्र को चालू करने का आदेश दिया. मई 2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने कुडुकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि यह परमाणु ऊर्जा संयंत्र व्यापक जनहित में है. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *