क्या बच्चों के कान में तेल डालना सुरक्षित है? सुनें एक्सपर्ट की राय

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बच्चों की देखभाल में माता-पिता हर चीज़ को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं। नहाने से लेकर खाना खिलाने तक, हर काम में सावधानी बरतनी पड़ती है। इसी तरह बच्चे के कानों की सफाई भी एक ऐसा विषय है जिसमें कई लोग पारंपरिक तरीकों का उपयोग करते हैं। पुराने समय से घरों में बच्चों के कान और नाक में सरसों का तेल डालने की परंपरा चली आ रही है। कई परिवार आज भी यह मानकर ऐसा करते हैं कि इससे कान की गंदगी (earwax) ढीली होकर आसानी से बाहर निकल जाएगी। लेकिन आधुनिक चिकित्सा क्या कहती है? क्या यह तरीका वास्तव में सही और सुरक्षित है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

क्या बच्चों के कान में तेल डालना सही है?

विशेषज्ञों के अनुसार, कान में तेल डालने की प्रक्रिया को कर्ण पूर्ण कहा जाता है। यह कभी-कभी earwax को नरम करने में मदद कर सकती है और कुछ लोगों में कान के सूखापन को भी कम कर सकती है। हालांकि, यह आवश्यक नहीं कि यह तरीका हर बच्चे या हर उम्र में सुरक्षित हो। खासकर छोटे बच्चों के कान बहुत नाज़ुक और संवेदनशील होते हैं। अगर उनके कान में बिना डॉक्टर की सलाह के तेल डाला जाए, तो इससे कान में जलन, संक्रमण या अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। कई बार तेल कान के अंदर जाकर फंस जाता है, जिससे आगे चलकर गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं। इसी कारण डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों के कानों में तेल डालने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

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6 महीने से छोटे बच्चों में तेल बिल्कुल नहीं डालना चाहिए

छह महीने से कम उम्र के बच्चों के कान बेहद नाज़ुक होते हैं। इस उम्र में कान का पर्दा (eardrum) और अंदरूनी संरचना पूरी तरह विकसित नहीं होती। ऐसे में तेल डालने से न सिर्फ जलन और इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है, बल्कि गाढ़ा तेल भीतर जाकर चिपक सकता है, जिससे सुनने में समस्या भी हो सकती है। कई बार तेल से कान नम हो जाता है और बैक्टीरिया तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे गंभीर संक्रमण की संभावना और बढ़ जाती है। इसलिए छह महीने से छोटे बच्चों में तेल डालना पूरी तरह से असुरक्षित माना जाता है।

अगर खुजली या पीप हो  तो तेल नहीं डालना चाहिए

अगर बच्चे के कान में पहले से कोई समस्या है, जैसे कान दर्द, खुजली, पानी या पीप आना, तो तेल डालना बिल्कुल नहीं चाहिए। ऐसा करने से कान का संक्रमण और ज्यादा बढ़ सकता है। तेल बैक्टीरिया या फंगस को पनपने का मौका देता है, जिससे बीमारी गंभीर हो सकती है। कभी-कभी कान के पर्दे में हल्का छेद होना सामान्य है, और यदि ऐसे में तेल डाला जाए तो यह सीधे कान के अंदर जाकर नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए यदि बच्चे के कान में पहले से कोई लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, न कि तेल डालकर इलाज करने की कोशिश।

यदि डॉक्टर अनुमति दें, तो

अगर डॉक्टर किसी खास वजह से बच्चे के कान में तेल डालने की अनुमति देते हैं, तो यह काम बहुत सावधानी से करना चाहिए। सबसे पहले इस्तेमाल किया जाने वाला तेल हल्का गुनगुना होना चाहिए। बहुत ज्यादा गर्म तेल कान को जला सकता है, जबकि ठंडा तेल असहजता और दर्द पैदा कर सकता है। तेल 1–2 बूँद से ज्यादा नहीं डालना चाहिए। तेल डालने के बाद बच्चे को कुछ मिनट के लिए करवट लिटाएँ ताकि तेल सही तरह अंदर पहुंचे।

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कान की सफाई करते समय केवल बाहर की सतह को ही साफ करना चाहिए। इसके लिए कॉटन बॉल का हल्का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन कॉटन बड्स या स्टिक को कभी भी कान के अंदर तक नहीं डालना चाहिए। इससे earwax और ज्यादा अंदर धकेली जा सकती है, जिससे blockage या संक्रमण हो सकता है। छोटे बच्चों के कानों की गहरी सफाई हमेशा डॉक्टर से करवाना बेहतर माना जाता है।

पारंपरिक तौर पर बच्चों के कान में तेल डालना सुरक्षित माना जाता था, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस के अनुसार यह तरीका हमेशा सुरक्षित नहीं होता, खासकर छोटे बच्चों के लिए। बिना डॉक्टर की सलाह के कान में तेल डालना कई समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे संक्रमण, जलन, blockage और eardrum को नुकसान। इसलिए बच्चों के कानों की सफाई खुद से करने के बजाय डॉक्टर की सलाह लेना सबसे सुरक्षित और समझदारी भरा कदम है।

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