नेपाल के पूर्व पीएम भ्रष्टाचार मामले में फंसे, दोषी हुए तो 17 साल जेल

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काठमांडू
 नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल भ्रष्टाचार के मामले में फंस गए हैं। उनके ऊपर बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि योगपीठ के लिए लैंड डील के मामले में घोटाले का आरोप लगाया गया है। पूर्व नेपाली प्रधानमंत्री पर 2009 से 2011 के बीच पतंजलि योगपीठ नेपाल कंपनी को कानूनी रूप से अनुमति दी गई जमीन से अधिक भूमि खरीदने देने का आरोप है, और उनसे 18.5 करोड़ नेपाली रुपये हर्जाने की मांग की गई है। माधव कुमार नेपाल और पतंजलि योगपीठ दोनों ने भी आरोपों से इनकार किया है।

नेपाल की यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के नेता माधव कुमार ने नेपाली अखबार कांतिपुर से बातचीत में भ्रष्टाचार के आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा, 'मैंने पतंजलि भूमि सौदे के संबंध में कुछ भी अवैध नहीं किया है और न ही किसी भ्रष्टाचार में लिप्त रहा हूँ, जिससे राज्य को कोई नुकसान हुआ हो।'

माधव कुमार नेपाल पर क्या हैं आरोप?

नेपाल की भ्रष्टाचार विरोधी संस्था कमीशन फॉर द इन्वेस्टिगेशन ऑफ एब्यूज ऑफ अथॉरिटी (CIAA) ने आरोप लगाया कि कावरे जिले की जमीन को बाद में दूसरी जमीन के साथ अदला-बदली करने या ज्यादा कीमत पर बेचने की अनुमति दी गई, जिससे राज्य को नुकसान हुआ। आयोग ने गुरुवार 5 जून को काठमांडू की एक विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर किया। आयोग ने अदालत से नेपाल को 18.5 करोड़ नेपाली रुपये (लगभग 13.5 लाख डॉलर) का जुर्माना भरने का आदेश देने की मांग की है।

पतंजलि ने आरोपों पर दी सफाई

माधव कुमार नेपाल को अगर दोषी पाया जाता है तो उन्हें 17 साल तक जेल की सजा हो सकती है। वहीं, मामले में भारत में पतंजलि योगपीठ ने किसी भी गड़बड़ी से इनकार किया है। पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने बताया कि कंपनी ने उचित प्रक्रिया के तहत निजी तौर पर जमीन खरीदी है। रॉयटर्स को एक संदेश में तिजारा ने कहा, पतंजलि ने कोई सरकारी जमीन नहीं खरीदी है। स्थानीय प्रतिरोध की कार्रवाई और कार्यवाही में हमारा नाम घसीटना अनुचित है। आयोग ने 92 अन्य लोगों पर भी आरोप लगाए हैं, जिनमें कुछ पूर्व मंत्री और अधिकारी शामिल हैं। इनमें से कई की पहले ही मौत हो चुकी है।

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