‘राम का नाम जुड़ते ही परेशानी क्यों?’ जी राम जी योजना पर विपक्ष को शिवराज चौहान का करारा जवाब

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नई दिल्ली 
मनरेगा का नाम बदलने वाले बिल को लेकर विपक्ष की आपत्ति के बाद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राम का नाम जुड़ते ही इन लोगों को पता नहीं क्या परेशानी हो जाती है। मंगलवार को लोकसभा में विकसित भारत रोजगार एवं आजीविका मिशन -ग्रामीण (VB- G RAM G) विधेयक 2025 पेश किया गया। इस मौके पर चौहान ने कहा, ‘महात्मा गांधी खुद राम राज की बात करते थे और उनके अंतिम शब्द भी हे राम करते थे। हर गरीब को बेरोजगार मिले और उसकी गरिमा का सम्मान हो। गरीब, जनजाति और पिछड़ा को रोजगार मिले और उसके लिए यह बिल आया है। 125 दिनों के रोजगार की गारंटी दी जाएगी। इससे कृषि और मजदूरी के बीच संतुलन स्थापित होगा। यह पूरा बिल महात्मा गांधी के अनुरूप है और राम राज्य की स्थापना के लिए लाया जा रहा है। मुझे समझ नहीं आता कि राम नाम जुड़ते ही इन लोगों को बिल से क्या आपत्ति हो गई है, जबकि भगवान राम तो खुद ही राम राज्य की बात करते थे।’
 
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच यह विधेयक पेश करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना उनका अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक को वापस लिया जाए या फिर संसदीय समिति के पास भेजा जाए। चौहान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं।’’ उनका कहना था कि मोदी सरकार महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर आधारित कई योजनाएं चला रही है।

कांग्रेस ने भी बदला था जवाहर रोजगार योजना का नाम
शिवराज चौहान ने सवाल किया, ‘‘कांग्रेस की सरकार ने भी जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था तो क्या यह पंडित जवाहरलाल नेहरू का अपमान था?’’ चौहान ने कहा कि सरकार ने मनरेगा पर 8.53 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन्होंने बताया, ‘‘हम इस विधेयक में 125 दिन के रोजगार की गारंटी दे रहे हैं। यह कोई कोरी गारंटी नहीं है, बल्कि 1.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का प्रावधान किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि इस विधेयक से गांवों का संपूर्ण विकास होगा।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इससे रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक में केंद्र के अनुदान को 90 से 60 प्रतिशत किया गया है और राज्यों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक वापस लिया जाना चाहिए या कम से कम स्थायी समिति के पास भेजा जाए।’’ प्रियंका गांधी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि किसी की ‘‘निजी महत्वाकांक्षा, सनक और पूर्वाग्रह’’ के आधार पर कोई विधेयक पेश नहीं होना चाहिए। कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले और कई अन्य सदस्यों ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाए।

 

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