बाढ़ के बाद बीमारियों का खतरा! योगी सरकार ने उठाए सख्त कदम, जारी किए अहम निर्देश

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लखनऊ
उत्तर प्रदेश के अधिसंख्य जिलों में बारिश का दौर थमने के साथ ही नदियों का जलस्तर में गिरावट से फौरी राहत मिली है हालांकि बाढ़ग्रस्त इलाकों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा गहराने लगा है। लखनऊ,कानपुर,उन्नाव,जालौन,बाराबंकी और प्रयागराज समेत कई जिलों में आज बादलों की आमद पिछले दिनो की अपेक्षा कम रही और धूप खिलने से लोगों को राहत मिली। प्रयागराज,कानपुर,वाराणसी और कन्नौज समेत कई जिलों में गंगा के जलस्तर में गिरावट दर्ज की गयी हालांकि घाघरा और शारदा नदियों में कटान के चलते सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि पानी में समायी रही।

प्रयागराज से प्राप्त रिपोटर् के अनुसार गंगा और यमुना नदिया अब खतरे के निशान के नीचे पहुंच गई है। बीते 24 घंटे में गंगा नदी का फाफामऊ में जलस्तर 155 सेंटीमीटर और छतनाग में 146 सेंटीमीटर कम हुआ है जबकि नैनी में यमुना नदी का जलस्तर बीते 24 घंटे में 123 सेंटीमीटर कम हुआ है। यमुना नदी का जलस्तर 5.12 सेंटीमीटर प्रति घंटा और गंगा नदी का जलस्तर 6.45 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कम हो रहा है हालांकि अभी भी दर्जनों मोहल्ले और गांव बाढ़ की चपेट में है। इन इलाकों में अभी भी नावें चल रही हैं अभी भी बड़ी संख्या में लोग बाढ़ राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं लेकिन जिस रफ्तार से जलस्तर कम हो रहा है।

वाराणसी में केंद्रीय जल आयोग की रिपोटर् के अनुसार गंगा नदी का जलस्तर 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से घटने लगा है। गंगा का जलस्तर आज 71.58 मीटर दर्ज किया गया। बाढ़ का पानी कम होने के साथ ही अब संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया है। मेयर अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर बाढ़ कम होने पर संक्रामक रोगों को रोकने के उपायों पर चर्चा की है। जिन क्षेत्रों में बाढ़ का पानी कम हो रहा है, वहां नगर निगम की टीमें सफाई, एंटी-लार्वा छिड़काव और फॉगिंग कर रही हैं। वरुणा नदी के किनारे नक्खी घाट, पुलकोहना, शक्कर तालाब और शहरी क्षेत्रों में सामने घाट, अस्सी, नगवा जैसे इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं। 

 

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