दिवाली से पहले ग्रेटर नोएडा का काला सच: शनिवार को बना देश का सबसे प्रदूषित शहर

Share on Social Media

ग्रेटर नोएडा

ठंड बढ़ने के साथ ही सर्दी और वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है, लेकिन इस बार भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तैयारी लगभग न के बराबर है। दोनों विभाग टूटी-फूटी और धूल वाली सड़कों की सफाई के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं, जबकि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान लागू करने से पहले ही वायु प्रदूषण के स्रोत समाप्त करने का निर्देश दिया है। शनिवार को ग्रेटर नोएडा देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहर के रूप में सामने आया।

ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 227 मापा गया है। जैसे ही सर्दियाँ आती हैं, दिल्ली एनसीआर क्षेत्र की हवा प्रदूषित हो जाती है। हर साल यह समस्या दोहराती है, इसलिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ठंड शुरू होने से पहले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। इसमें सड़कों से धूल हटाना, टूटी हुई सड़कों की मरम्मत करना, ट्रैफिक जाम दूर करना, खुले में कचरा फैलाने और जलाने पर रोक लगाना शामिल है। हालांकि इस बार भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। शहर की अधिकांश सड़कें खराब हालत में हैं, जहां धूल बिखरी हुई है और वाहनों की आवागमन से हवा में धूल उठ रही है। फिर भी धूल हटाने की कोई योजना बनाई नहीं गई है।

सांस लेना भी मुश्किल
ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ट्रैफिक जाम की समस्या बनी हुई है। लोग बताते हैं कि 1 से 15 अक्टूबर के बीच वायु प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। इस बार दिवाली और अन्य त्योहर भी हैं, जिनमें आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषण और गहरा हो जाता है, जिससे सांस लेना कठिन हो जाता है। इसके बावजूद प्राधिकरण और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोई तैयारी नहीं की है, जिससे लोगों को प्रदूषण सहन करना पड़ सकता है।

बारिश के बाद मिली तीन दिन की राहत खत्म होते ही ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण फिर से बढ़ने लगा है। पिछले 24 घंटों में यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 123 अंक बढ़कर ऑरेंज जोन में पहुंच गया है। जहां शुक्रवार को एक्यूआई 104 था, वहीं शनिवार को यह 227 तक पहुंच गया। यदि यही स्थिति बनी रही, तो अगले दो दिनों में एक्यूआई 300 से ऊपर चले जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *