सुकमा मुठभेड़: माओवादियों के स्नाइपर स्पेशलिस्ट सहित तीन ढेर

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सुकमा

 सुकमा जिले के भेज्जी–चिंतागुफा सीमावर्ती तुमालपाड़ जंगल में रविवार सुबह डीआरजी (जिला रिजर्व गर्द) टीम और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 15 लाख के इनामी तीन माओवादियों को मार गिराया है। इनमें कुख्यात जनमिलिशिया कमांडर और स्नाइपर स्पेशलिस्ट माड़वी देवा भी शामिल है। मुठभेड़ स्थल से 303 राइफल, बीजीएल (बैरल ग्रेनेड लांचर्स) और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया है।

मारे गए माओवादियों के नाम माड़वी देवा जो जनमिलिसिया कमांडर स्नाइपर स्पेशलिस्ट एरिया कमेटी सदस्य था। पोड़ियम गंगी, सीएनएम कमांडर और सोड़ी गंगी, किस्टाराम की एरिया कमेटी सदस्य (इंचार्ज सचिव) है। 9 जून को आईईडी की चपेट में आने से एएसपी आकाश राव शहीद हो गए थे, आज मुठभेड़ में मारा गया माड़वी देवा उस घटना का मास्टर माइंड था। खबर की पुष्टि करते हुए एसपी किरण चव्हाण ने कहा कि जवान मौके पर मौजूद है और हम उनके संपर्क में है।

जानकारी के मुताबिक जिले के चिंतागुफा और भेज्जी थानाक्षेत्र के कारीगुंडम इलाके में आज सुबह डीआरजी जवानों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई है। बताया जाता है कि जवान जब सर्चिंग करते हुए उस इलाके में पहुंचे तो घात लगाए बैठे माओवादियों ने हमला कर दिया उधर जवानों ने मोर्चा संभालते हुए जवाबी कारवाई की।

इस मुठभेड़ में एसीएम रैंक के तीन नक्सली मारे जाने की खबर है और हथियार भी बरामद हुए। फिलहाल मुठभेड़ रुक गई है और जवान इलाके को सर्चिंग कर रहे है। जैसे ही जवान वापस लौटेंगे तब पूरी जानकारी मिल पाएगी।

कुल 450 माओवादी मारे गए

मुठभेड़ के बाद क्षेत्र में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स और सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) द्वारा व्यापक सर्चिंग की जा रही है। बस्तर रेंज के आइजीपी सुंदरराज पट्टलिंगम ने कहा कि बस्तर में माओवाद अब अंतिम चरण में है और पिछले दो वर्ष में विभिन्न स्तरों के कुल 450 माओवादी मारे जाने ने संगठन की कमजोरी स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि अब माओवादी कैडरों के पास हिंसा छोड़कर पुनर्वास नीति अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

बीजापुर में मारे गए थे 6 माओवादी

सुकमा और बीजापुर दोनों जिलों में पिछले एक सप्ताह में लगातार मुठभेड़ हुई हैं। पिछले मंगलवार को बीजापुर में छह माओवादी मारे गए थे। पिछले दो साल में बस्तर संभाग में 447 माओवादी मारे जा चुके हैं, जिनमें कई बड़े कैडर और शीर्ष रैंक के नेता भी शामिल हैं। लगातार कार्रवाई से माओवादियों की गतिविधियों पर बड़ी रोक लगी है और संगठन पर दबाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

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