मतदाता सूची पर सन्नाटा: 7 दिन बीते, सियासी दल अब तक क्यों खामोश?

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नई दिल्ली
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर संसद में जारी संग्राम के बीच चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि SIR प्रकिया के बाद जारी किए गए मतदाताओं की मसौदा सूची के संबंध में अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी दावा या आपत्ति प्रस्तुत नहीं किया है। इसके साथ ही आयोग ने कहा है कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में किसी भी पात्र मतदाता को नहीं छोड़ा जाएगा और न ही किसी अपात्र मतदाता को शामिल किया जाएगा। आयोग ने सभी लोगों से 1 अगस्त को प्रकाशित बिहार की मसौदा मतदाता सूची में किसी भी त्रुटि को सुधारने के लिए दावे और आपत्तियाँ प्रस्तुत करने की अपील की है।

चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर एक दैनिक बुलेटिन में कहा कि आज तक मसौदा सूची के संबंध में चुनाव आयोग को मतदाताओं से सीधे 5,015 दावे और आपत्तियाँ ही प्राप्त हो सकी हैं। आयोग ने कहा कि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु प्राप्त करने वाले नए मतदाताओं से प्राप्त आवेदनों की संख्या 27,517 है।

सात दिनों के अंदर दावों का होना है निपटारा
आयोग की बुलेटिन में कहा गया है कि नियमों के अनुसार, दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी/सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ/एईआरओ) द्वारा 7 दिनों की समाप्ति के बाद कर दिया जाएगा। एसआईआर के आदेशों के अनुसार, 1 अगस्त को प्रकाशित मसौदा सूची से किसी भी नाम को ईआरओ/एईआरओ द्वारा जाँच करने और उचित एवं उचित अवसर दिए जाने के बाद स्पष्ट आदेश पारित किए बिना नहीं हटाया जा सकता है।

SIR पर सियासी संग्राम, पटना से दिल्ली तक माहौल गरम
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक ने आरोप लगाया है कि इस पुनरीक्षण प्रक्रिया से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं। संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से ही विपक्षी दल बिहार एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहे हैं और संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

SC ने मांगा 65 लाख हटाए गए वोटरों का ब्योरा
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनाव आयोग से एक गैर सरकारी संगठन- एसोसिएसन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की नई अर्जी पर 9 अगस्त तक जवाब दाखिल करने को कहा है। इस अर्जी में एसआईआर अभियान के बाद बिहार की मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए 65 लाख मतदाताओं के विवारण का खुलासा करने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने आयोग से कहा है कि 9 अगस्त तक उन 65 लाख लोगों को विवरण सौंपे और एक कॉपी ADR के वकील को भी दें।

एक गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं दी गई है कि कौन मर चुका है और कौन स्थायी रूप से पलायन कर गया है। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि वे हटाए गए मतदाताओं का विवरण, राजनीतिक दलों के साथ साझा किया गया डेटा, और उसकी एक प्रति एनजीओ को दें।

30 सितंबर तक कर सकेंगे दावा
चुनाव आयोग ने कहा कि राजनीतिक दलों को सभी आवश्यक जानकारी दे दी गई है। पीठ ने भूषण से कहा कि नाम हटाने का कारण बाद में बताया जाएगा, क्योंकि अभी यह केवल एक मसौदा सूची है। हालांकि, भूषण ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को हटाए गए मतदाताओं की सूची दी गई है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि मतदाता की मृत्यु हो गई है या वह कहीं और चला गया है। बता दें कि 1 अगस्त को, चुनाव आयोग ने एसआईआर 2025 के तहत गणना चरण पूरा होने के बाद, बिहार के लिए मसौदा मतदाता सूची जारी की थी।

 

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