राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुस्लिमों को ठेकेदारी में 4 प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले का किया विरोध

Share on Social Media

नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने मुस्लिमों को ठेकेदारी में 4 प्रतिशत आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के फैसले का विरोध किया है। आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने कहा कि भारतीय संविधान में धर्म आधारित आरक्षण को स्वीकार नहीं किया गया था, जिसे बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने तैयार किया था। इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने शनिवार को अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि सभा में संगठनात्मक कार्यों का विश्लेषण, विकास, प्रभाव और समाज परिवर्तन पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि संघ ने गत 100 वर्षों में कार्य के विस्तार और सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है। संघ की यात्रा के बारे में जानकारी दी और एक शाखा से लेकर पूरे देश में क्रमिक विस्तार की जानकारी रखी। उन्होंने कहा कि संघ का लक्ष्य 'सर्वस्पर्शी, सर्वव्यापी' होना है, जो समाज और राष्ट्र के सभी पहलुओं को स्पर्श करे। संघ आज देश के 134 प्रमुख संस्थानों (premiere institutions) में मौजूद है और आने वाले वर्षों में सभी संस्थानों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं के उत्पीड़न पर प्रस्ताव
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पारित 'बांग्लादेश के हिन्दू समाज के साथ एकजुटता से खड़े होने का आह्वान' शीर्षक वाले प्रस्ताव पर कहा कि संघ बांग्लादेश में कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों के हाथों हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रही हिंसा, उत्पीड़न और लक्षित उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त करता है। बांग्लादेश की स्थिति पर अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि धार्मिक संस्थानों पर व्यवस्थित हमलों, क्रूर हत्याओं, जबरन धर्मांतरण और हिन्दुओं की संपत्तियों को नष्ट करने के चक्र ने बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया है। प्रस्ताव में धार्मिक असहिष्णुता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के इन कृत्यों की कड़ी निंदा की गई है और वैश्विक समुदाय से निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार अत्याचार
अरुण कुमार ने कहा कि मठों, मंदिरों पर हमले, देवी-देवताओं की अपवित्रता, संपत्तियों की लूट और जबरन धर्म परिवर्तन निंदनीय है, लेकिन संस्थागत उदासीनता और सरकारी निष्क्रियता के कारण अपराधियों का हौसला बढ़ गया है। बांग्लादेश में हिन्दू आबादी में लगातार गिरावट पर अरुण जी ने कहा कि 1951 में 22% से घटकर आज केवल 7.95% रह गई है, यह संकट की गंभीरता को दर्शाता है। हिन्दुओं का ऐतिहासिक उत्पीड़न, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के बीच, एक सतत मुद्दा बना हुआ है। हालांकि, पिछले साल संगठित हिंसा का स्तर और सरकार की निष्क्रियता चिंताजनक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *