राजस्थान-ई-दाखिल में देश में तीसरे स्थान पर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री बोले-‘मध्यस्थता लोक जीवन की महत्त्वपूर्ण व्यवस्था’

Share on Social Media

जयपुर।

खाद्य ,नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के मंत्री श्री सुमित गोदारा ने मंगलवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में राज्य एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में मध्यस्थता व्यवस्था एवं कंज्यूमर केयर कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया।

गोदारा ने कहा कि मध्यस्थता व्यवस्था उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा नवाचार है। यह लोक जीवन में समस्या सुलझाने की सदियों पुरानी व क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली कारगर व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि इसके लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। कोई विवाद हो तो मध्यस्थ व्यक्ति पर विश्वास करना आवश्यक है, इसमें समाधान अवश्य निकलता है।
श्री गोदारा ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में भारत की न्यायपालिका का बहुत बड़ा योगदान है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में न्यायपालिका ने महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। अगली बार प्रयास किये जाय कि जिला फोरम के रोचक निर्णयों को प्रेरणा स्वरूप लोगों को बताए जाएं ,इससे लोगों में उत्साह बढ़ेगा ।न्यायपालिका के  निर्णयों से 15 – 20 वर्षों में सबसे बड़ा परिवर्तन गुणवत्ता बढ़ोतरी में आया है। इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता का सामान मिलने लगा है। इसी के आधार पर भारत की अर्थव्यवस्था 12वीं नंबर से पांचवें नंबर पर आई है, इसी की बदौलत भारत आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान में ई- केवाईसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार करवाई जा रही है जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लाभार्थियों को 31 दिसंबर, 2024 तक करवानी है अन्यथा सूची से उनका नाम हटा दिया जाएगा। जिला उपभोक्ता संरक्षण मंचों में अध्यक्ष व सदस्यों के लिए नया परिवर्तन किया गया है। इसमें मार्च तक 87 सदस्यों की नियुक्तियां की जाएगी। उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों की जागरूकता के लिए उचित मूल्य की प्रत्येक दुकान पर हेल्पलाइन नंबर का ज्यादा प्रचार किया जाएगा जिससे गांव—ढाणी में बैठा व्यक्ति भी लाभ ले सके।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जागो ग्राहक जागो अभियान को और अधिक सफल बनाएंगे। साथ ही, विभाग के अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। न्यायाधिपति श्री इंद्रजीत सिंह ने कहा कि किसी भी विवाद का निस्तारण मुख्यतः दो प्रकार से होता है, प्रथम निर्णय से तथा द्वितीय समझौतावादी प्रक्रिया से। आज के समय में समझौतावादी प्रक्रिया को अपनाना समाज के हित में महत्वपूर्ण है। इसमें एक तटस्थ व्यक्ति दोनों पक्षों के बीच आपसी बातचीत व समझौते के माध्यम से समाधान तक पहुंचाने में मदद करता है। मध्यस्थता वह कला है जिसमें समझौता नहीं समाधान खोजा जाता है। मध्यस्थता से समय की बचत होती है, आर्थिक दृष्टि से लाभकारी भी है। इससे रिश्तों की रक्षा, गोपनीयता व निष्पक्षता बनी रहती है। न्यायाधिपति एवं राजस्थान राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष श्री देवेंद्र कच्छावा ने कहा कि उपभोक्ता मामलों में तीव्र गति से सुनवाई हो रही है। लोग न्याय की अभिलाषा से आते हैं। उन्हें शीघ्रता से न्याय नहीं मिल पाता। इसके लिए मध्यस्थता व्यवस्था के माध्यम से  प्रकरणों का निस्तारण किए जाने के प्रयास किए जाएं। राज्य – जिला विधिक प्राधिकरणों में मध्यस्थता अब विधिक प्रक्रिया के माध्यम से की जा रही है। वरिष्ठ न्यायाधीश श्री हरि ओम अत्रि ने कहा कि मध्यस्थता व्यवस्था के लिए विस्तृत नीति तैयार की गई है। उपभोक्ता विषयों के लिए राज्य- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में मिडिएशन सेंटर शुरू किए गए हैं। यह अपेक्षा करते हैं कि राज्य प्रतितोष आयोग एवं जिला प्रतितोष मंच से प्राप्त प्रकरणों में मध्यस्थता के माध्यम से उच्च सेवाएं प्रदान करेंगे। जिससे लंबित प्रकरणों की संख्या कम हो सके। इस अवसर पर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से उपभोक्ता जागृति का संदेश दिया गया एवं ''मिडीएशन ईज ऑफ़ लिविंग -ईज ऑफ़ जस्टिस'' नामक पुस्तिका का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम में उल्लेखनीय एवं उपलब्धि पूर्ण कार्यों के लिए सुश्री रुखसार, सुश्री भावना दयाल, श्री मनीष भटनागर, श्रीमती जय श्री शर्मा एवं श्री देवेंद्र मोहन माथुर को प्रशस्ति पत्र के साथ शाल ओढ़ाकर एवं पौधा देकर सम्मानित किया गया। रजिस्ट्रार श्री अशोक शर्मा ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। विभाग की निदेशक श्रीमती पूनम प्रसाद सागर ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *