बारिश-बाढ़-लैंडस्लाइड का कहर, केदारनाथ यात्रा के रास्ते में फंसे श्रद्धालु, 4000 को किया गया रेस्क्यू

Share on Social Media

रुद्रप्रयाग

केदारघाटी में बीती रात्रि को हुई अत्यधिक बारिश से लिनचोली के समीप जंगलचट्टी में बादल फटने से रामबाड़ा, भीमबली लिनचोली का रास्ता पूरी तरह से बंद होने के बाद जिला प्रशासन बिना देरी के राहत एवं बचाव कार्य में लग गया। एक ओर जहां अतिवृष्टि की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन की टीम द्वारा रेस्क्यू करते हुए इन स्थानों में फंसे श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया वहीं दूसरी ओर उन्हें आवश्यकता के अनुसार पानी की बोतल व फूड पैकेट भी उपलब्ध कराए गए। देर शाम तक केदारनाथ यात्रा मार्ग से 4000 से अधिक श्रद्धालुओं का रेस्क्यू किया गया। जिसमें लगभग 700 श्रद्धालुओं का हैली के माध्यम से रेस्क्यू किया गया। फंसे हुए श्रद्धालुओं को जीएमवीएन एवं अन्य सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। मुख्यमंत्री, आपदा सचिव एवं गढ़वाल कमिश्नर इसपर लगातार नजर बनाए हुए हैं। उधर पीएमओ कार्यालय से भी हरसंभव मदद का आश्वासन दिया गया है।

देर रात्रि हुई अतिवृष्टि के बाद आज प्रातः मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी एवं मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने जिलाधिकारी सौरभ गहरवार से घटना की जानकारी ली। साथ ही जिलाधिकारी से हुई वार्ता में यात्रा मार्ग में फंसे हुए श्रद्धालुओं का प्राथमिकता के आधार पर रेस्क्यू करते हुए उन्हें सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने हेतु निर्देशित किया गया। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के मध्य करीब डेढ सौ मीटर रास्ते के बहने के बाद एसडीआरएफ, डीडीआरएफ तथा एनडीआरएफ की टीमों के सहयोग से लगभग 4000 श्रद्धालुओं को निकाला गया। इसमें भीमबली और लिनचोली में बाधित हुए रास्ते के कारण पांच हैली सेवाओं के माध्यम से करीब 700 लोगों का रेस्क्यू किया गया। केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं को आश्वस्त किया गया है कि कल से हवाई सेवा हेतु चिनूक एवं एमआई की सेवा उपलब्ध करा दी जाएंगी तथा यथाशीघ्र उनको रेस्क्यू कर लिया जाएगा। केदारनाथ धाम में 10-14 दिनों के लिए खानपान की पूर्ण व्यवस्था उपलब्ध है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं प्रभावित क्षेत्रों का हवाई एवं मौके पर सर्वेक्षण किया। साथ ही उनके द्वारा रेस्क्यू कर रही टीमों की हौसला अफजाई की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से वार्ता कर उनसे फीडबैक लिया। मौके पर पहुंचने पर श्रद्धालुओं द्वारा मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया गया।

अत्यधिक बारिश के चलते केदार घाटी के लिए जाने वाली 33 केवी की विद्युत सप्लाई बाधित होने के बाद प्राथमिकता के आधार पर श्री केदारनाथ धाम में 11 केवी लाइन की विद्युत सप्लाई के जरिए विद्युत आपूर्ति की जा रही है।वहीं गौरीकुंड, सोनप्रयाग व लिनचोली में विद्युत व्यवस्था सुचारू करने हेतु कार्य गतिमान है, जिसके लिए 55 लोगों द्वारा कार्य गतिमान है। यात्रा मार्ग में पेयजल व शौचालय की व्यवस्था दुरूस्त है।

वायुसेना कर रही है मदद

फंसे हुए लोगों को लाने के लिए लगातार वायु सेना का भी सहारा लिया जा रहा है. एयर लिफ्ट में तेजी लाने के लिए वायु सेना का चिनूक एवं एमआई 17 हेलिकॉप्टर भी शुक्रवार सुबह गौचर पहुंच गए हैं. एमआई 17 ने एक चक्कर लगाकर 10 लोगों को रेस्क्यू कर गौचर पहुंचा दिया है.

वायुसेना ने बयान जारी करते हुए कहा, 'भारतीय वायुसेना ने केदारनाथ से बचाव अभियान शुरू किया है. Mi17V5 और चिनूक के जरिए भारतीय वायुसेना ने केदारनाथ में बचाव अभियान शुरू किया है. एक चिनूक और एक Mi17 V5 हेलिकॉप्टर के साथ NDRF की टीमों को बचाव स्थलों पर ले जाया गया. आगे की कार्रवाई के लिए भारतीय वायुसेना के और उपकरण स्टैंडबाय पर हैं.'

CM ने की प्रभावितों से मुलाकात
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, 'केदारघाटी में बुधवार रात्रि को हुई अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर स्थानीय लोगों एवं विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं से भेंट कर उनका कुशलक्षेम जाना. इस दौरान जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को क्षतिग्रस्त सड़कों और पैदल मार्गों के सुधारीकरण का कार्य तेजी से किए जाने एवं संवेदनशील स्थानों से लोगों को जल्द सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए.'

उन्होंने सचिव से यह भी कहा कि अतिवृष्टि के कारण राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जिलाधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता मांगे जाने पर उन्हें तुरंत उपलब्ध करायी जाए.

बादल फटना किसे कहते हैं?
बादल का फटना या क्लाउडबर्स्ट का मतलब, बहुत कम समय में एक सीमित दायरे में अचानक बहुत भारी बारिश होना है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, अगर किसी एक इलाके में 20-30 वर्ग किलोमीटर दायरे में एक घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश होती है तो उसे बादल का फटना कहा जाता है. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो किसी एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश होना बादल फटना कहा जाता है.अब आपको बताते हैं कि बादल फटने की घटना कब होती है?

कैसे फटता है बादल

तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने पर पानी की बूंदें आपस में मिल जाती है इससे बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है, इससे एक सीमित दायरे में अचानक तेज बारिश होने लगती है, इसे ही बादल फटना कहा जाता है.

बादल फटने की घटनाओं के मामले में देश के दो राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं. इन दोनों पहाड़ी राज्यों में अब मॉनसून की बारिश के दौरान बादल फटना आम हो गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षों में बादल फटने की आपदाओं में ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका है. यानी अभी तो ये ट्रेलर, कुदरत आगाह कर रही है, अभी नहीं संभले तो जान और माल दोनों से हाथ धोना पड़ेगा.

इसके अतिरिक्त एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, डीडीआरएफ सहित जिला एवं तहसील प्रशासन के लगभग 500 कार्मिकों द्वारा अलग-अलग सेक्टर में कार्य किया जा रहा है। सभी सेक्टरों को अलग-अलग 7 सेक्टरों में बांटा गया है। तथा अलग-अलग सेक्टर में अलग-अलग टीमें गठित हैं जो उनसे संबंधित लोगों से लगातार संपर्क कर रही है। साथ ही किसी स्थिति में किसी के फंसे होने अथवा अन्य किसी भी तरह की सहायता हेतु टीमें मुस्तैद हैं।

वहीं केदारनाथ धाम के मोटर मार्गों को भी दुरूस्त कर लिया गया है। रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग तक को पूर्णतः यातायात हेतु सुचारू किया जा चुका है। जबकि सोनप्रयाग से गौरीकुंड मार्ग पर भी कार्य शुरू किया जा चुका है। दिनभर में

लिनचोली, भीमबली सहित अन्य स्थानों पर खाद्य विभाग द्वारा लगभग 5 हजार फूड पैकेट का वितरण किया गया। इसके अलावा जीएमवीएन द्वारा वहां फंसे लोगों को लंच की भी व्यवस्था की गई। वहीं गौरीकुंड में भी खाद्य विभाग के द्वारा भोजन व्यव्स्था कारवाई गई। इसके अतिरिक्त सोनप्रयाग व गौरीकुंड में भी फूड पैकेट उपलब्ध कराए गए हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अमरदेई शाह द्वारा भी लोगों को फूड पैकेट उपलब्ध कराए गए।

चिनूक, एमआई सहित अन्य हवाई सेवाएं निर्बाध रूप से रेस्क्यू कर सकें इसके लिए तीन एटीएफ के टैंकर रुद्रप्रयाग के लिए रवाना हो गए हैं। जिसमें मोहाली से 11 किलोलीटर जबकि देहरादून एवं सहारनपुर 10-10 किलोलीटर के एटीएफ रुद्रप्रयाग पहुंचने जा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *