सरकारी महाविद्यालयों के प्राध्यापक बनेंगे ‘शोध निदेशक’, तय की जाएगी सैलरी

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भोपाल
कॉलेजों में बदले पढ़ाई के पैटर्न में शोध पर फोकस किया गया है। सभी सकारी कॉलेजों में शोध केन्द्र बनाए जाने हैं। कॉलेज के प्राध्यापक निदेशक होंगे। चयन की जिमेदारी संबंधित विश्वविद्यालय की होगी। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी कर दिए हैं।

 शोध निदेशक की पात्रता रखने वाले प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापकों से कहा कि वे आवेदन करें। प्रयास यही है कि विद्यार्थियों को ऑनर्स विद रिसर्च की सुविधा उनके कॉलेज या फिर समीप के कॉलेज में मिल सके। नई शिक्षा नीति के तहत शोध पर अधिक फोकस किया गया है। कॉलेजों में शोध केन्द्र की स्थापना इसी कड़ी का हिस्सा है।

आनॅर्स विथ रिचर्स की सुविधा
स्नातक चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों को चतुर्थ वर्ष ऑनर्स या आनॅर्स विथ रिचर्स की सुविधा मिले। विभाग ने निर्देश में कहा कि जिन प्राध्यापकों, सहायक प्राध्यापकों ने पीएचडी उपाधि प्राप्त की है और शिक्षण कार्य करते हुए पांच वर्ष हो चुके हैं तो वे भी शोध निदेशक के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। जो प्राध्यापक या सहायक प्राध्यापक शोध निदेशक की पात्रता रखते हैं और वे पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं उनके बारे में जानकारी भेजें।

ढर्रा सुधारने की कवायद
सरकार का फोकस सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई का ढर्रा सुधारने को लेकर है। इसी कड़ी में प्राध्यापकों को कॉलेजों में ही रुकने के लिए अवधि तय कर दी है। यानी उन्हें तय अवधि तक कॉलेजों में रुकना ही होगा। इसी से उनका वेतन निर्धारण होगा।

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