पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मालवा रीजन में अगले विधानसभा चुनाव के पहले सिंचाई और पेयजल के लिए पानी दिलाने की तैयारी

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भोपाल  

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मालवा रीजन में अगले विधानसभा चुनाव के पहले सिंचाई और पेयजल के लिए पानी दिलाने की तैयारी है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसके चलते दूसरे फेज में शामिल मालवा रीजन के कामों को अब पहले फेज में पूरा कराने का फैसला लिया है। इसके लिए पूर्व में बनाई गई कार्ययोजना में बदलाव मंत्री स्तरीय बैठकों में किया है।

इसके बाद अब संशोधित पार्वती-काली सिंध-चंबल लिंक परियोजना से प्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के किसानों को फायदा मिलेगा। किसानों को न केवल सिंचाई और पेयजल के लिए पानी मिलेगा बल्कि संबंधित क्षेत्र में पर्यटन और उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

परियोजना के संबंधित जानकारी

    पार्वती काली सिंध चंबल लिंक परियोजना में एमपी की 17 परियोजनाएं एवं राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना शामिल हैं। इस परियोजना की कुल लागत 72 हजार करोड़ रुपए प्रस्तावित है।

    परियोजना के क्रियान्वयन से मध्यप्रदेश के लगभग 6.11 लाख हेक्टेयर नवीन क्षेत्र में सिंचाई एवं पेयजल मिलेगा।

    उद्योगों के लिए लगभग 172 मिलियन घनमीटर जल उपलब्ध होगा। परियोजना से लगभग 40 लाख परिवारों को फायदा होगा।

एमपी में 35 हजार करोड़ होंगे खर्च

संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना में मध्यप्रदेश से पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, क्षिप्रा एवं सहायक नदियों के जल का अधिकतम उपयोग किया जायेगा। प्रदेश में इन परियोजनाओं की कुल लागत 35 हजार करोड़ रुपए प्रस्तावित है।

एमपी में यहां बनेंगे बांध

    परियोजना के अंतर्गत श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स में 4 बांध (कटीला, सोनपुर, पावा एवं धनवाड़ी) बनाए जाएंगे।

    यहां 2 बैराज (श्यामपुर, नैनागढ) में बनेंगे।

    कुम्भराज कॉम्प्लेक्स में 2 बांध (कुंभराज-1 एवं कुंभराज-2) बनेंगे। रणजीत सागर, लखुंदर बैराज एवं ऊपरी चम्बल कछार में 7 बांध (सोनचिरी, रामवासा, बचेरा, पदुनिया, सेवरखेड़ी, चितावद तथा सीकरी सुल्तानपुरा) बनाए जाएंगे।

    गांधी सागर बांध की अप स्ट्रीम में चंबल, क्षिप्रा और गंभीर नदियों पर छोटे-छोटे बांधों का निर्माण भी प्रस्तावित है।

इन 13 जिलों को मिलेगा पानी

इस परियोजना से राज्य के 13 जिलों मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड, श्योपुर, इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास एवं राजगढ़ को सिंचाई, पेयजल, मत्स्य पालन एवं औद्योगिक प्रयोजन के लिए पानी मिलेगा। केंद्र सरकार के सहयोग से बनने वाली इस परियोजना का कार्य आगामी 5 वर्ष में पूर्ण कर लिया जाएगा।

21 बांध बैराज, रिजर वायर बनाए जाएंगे

परियोजना अंतर्गत कुल 21 बांध, बैराज एवं बैलेंसिंग रिजरवायर आदि का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना में मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के मध्य मौजूदा चंबल दायीं मुख्य नहर (CRMC) एवं मध्य प्रदेश क्षेत्र में CRMC सिस्टम को अंतिम छोर तक नवीकरण एवं आधुनिकीकरण का प्रावधान रखा गया है, इससे मध्य प्रदेश के श्योपुर, मुरैना, भिंड जिलों को सिंचाई एवं पेयजल के लिए आवंटित जल मिलेगा।

ऐसे चली परियोजना डीपीआर बनाने की प्रक्रिया

    केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, मध्य प्रदेश, राजस्थान के मुख्यमंत्री और दोनों राज्यों के अपर मुख्य सचिव एवं सचिव की मौजूदगी में 28 जनवरी 2024 को परियोजना की डीपीआर तैयार करने के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

    संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश की श्रीमंत माधवराव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स की 6 परियोजनाओं की डीपीआर तैयार कर राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण, भारत सरकार को प्रेषित की जा चुकी है।

    शेष परियोजनाओं की डीपीआर विभिन्न स्तरों पर प्रक्रियाधीन है।

    संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना सह पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का भारत सरकार से प्राप्त ड्राफ्ट समझौता अनुबंध को मध्य प्रदेश शासन द्वारा संशोधन के बाद भारत सरकार को 25 अक्टूबर 2024 को भेजा है।

 

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