अब स्वदेशी उत्पादों पर भी लगेगा खास लोगो, शाकाहारी-मांसाहारी जैसी होगी पहचान
भोपाल
खाने-पीने की कोई भी चीज खरीदने के पहले हम देखते हैं कि पैकेट पर शाकाहार का प्रतीक हरा चिह्न बना है या मांसाहार का लाल। इस तरह से स्वदेशी उत्पादों का प्रमाणन कर कोई लोगो लगाने पर विचार चल रहा है। इससे उपभोक्ता को यह आसानी से समझ आ जाएगा कि वस्तु स्वदेशी है।
स्वदेशी जागरण मंच उत्पादकों, व्यापारिक संगठनों और सरकारी एजेंसियों से बात कर प्रमाणीकरण के लिए यह काम करने की तैयारी में है। मंच के राष्ट्रीय संघटक कश्मीरी लाल ने रविवार को भोपाल में विश्व संवाद केंद्र में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। वह मंच की क्षेत्रीय बैठक में भाग लेने के लिए भोपाल आए हैं।
विदेशी वस्तुओं की होली जलेगी
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दिन पहले ही काशी की आमसभा में स्वदेशी अपनाने पर जोर दिया है। अब मंच भी आम लोगों को जागरूक करने के लिए नई रणनीति के साथ काम करेगा। देशभर में अभियान चलाया जाएगा। मंच भारत छोड़ो दिवस (नौ अगस्त)के संदर्भ में आठ और 10 अगस्त को प्रदेश भर में विदेशी वस्तुओं की होली जलाएगा।
साथ ही देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए विश्व उद्यमिता दिवस 21 अगस्त से 21 सितंबर तक उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन किया जाएगा। इसमें उन उद्यमियों को स्कूल-कालेजों में सम्मानित किया जाएगा जो खुद उद्योग स्थापित कर सफल रहे। इस अवसर पर मंच के क्षेत्रीय संयोजक सुधीर दाते और प्रांत संयोजक श्रीकांत बुधोलिया उपस्थित थे।
कश्मीरी लाल ने कहा, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) से अमेरिका अपनी 35 प्रतिशत आय अर्जित करता है, पर भारत आधा प्रतिशत भी नहीं। इस क्षेत्र में जोर देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, कैट (कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स) और सीआईआई के साथ मिलकर स्वदेशी को बढ़ाने की रणनीति बनाई है। 'स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन' अभियान प्रारंभ किया गया है।
चीन से 100 अरब डॉलर का व्यापार घाटा
कश्मीरी लाल ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह विकसित देशों की नीति विकासशील देशों को खून चूसने की है। कच्चा माल लेकर बना हुआ सामान बेचते हैं। चीन से लगभग 100 अरब डॉलर का व्यापार घाटा चल रहा है। यहां के सस्ते और घटिया सामान हमारे बाजारों में आ रहे हैं। गलवान घाटी की घटना के बाद हमे सोचना चाहिए कि चीन के पास हमारे देश को धन क्यों जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि पेप्सी कोला कंपनी प्रतिवर्ष 9096 करोड़ रुपये भारत से ले जाती है। कोलगेट 5757 करोड़ रुपये, नैस्ले 20 हजार 100 करोड़ रुपये, जानसन एंड जानसन 500 करोड़, डेल 1740 करोड़ रुपये एफडीआई के नाम से ले जाती है। नियमानुसार इन्हें रोक नहीं सकते, पर जीरो टेक्नोलॉजी वाली चीजों का उत्पादन बढ़ाकर हम बहुत आगे निकल सकते हैं।