प्रदेश की सड़कों पर अब जल्दी दौड़ेगी नई डायल-100, डीपीआर को मिली स्वीकृति, अब कैबिनेट की अनुमति बाकी

Share on Social Media

 भोपाल
 प्रदेश में जनता को पुलिस सहायता उपलब्ध कराने वाले डायल-100 वाहनों के संचालन के लिए नई एजेंसी के चयन की एक बाधा दूर हो गई है। इसके लिए बनाए गए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) को मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली परियोजना मूल्यांकन समिति से स्वीकृति मिल गई है। अब यह प्रस्ताव इसी माह कैबिनेट में लाने की तैयारी है। यहां से स्वीकृति मिली तो दिसंबर में निविदा प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। इसमें कोई बाधा नहीं आई तो मार्च-अप्रैल, 2025 तक नई कंपनी के हाथ में संचालन की जिम्मेदारी आ जाएगी। इसके साथ ही इस सेवा में कई बड़ी सुविधाएं भी मिलेंगी जो अभी नहीं हैं।

अभी प्रदेश में डायल-100 के एक हजार वाहन चल रहे हैं। नई कंपनी के आने पर पहले 1200 और इसके बाद चरणबद्ध तरीके से दो हजार वाहन किए जाएंगे। बता दें, वर्तमान संचालन कंपनी का कार्यकाल पांच वर्ष था जो वर्ष 2020 में ही पूरा हो गया है। नई कंपनी का चयन नहीं हो पाने के कारण बीते चार वर्ष से पुरानी कंपनी को सेवा विस्तार दिया जा रहा है। वाहन पुराने होने के कारण बार-बार खराब हो रहे हैं। घटनास्थल पर पहुंचने में भी समय लग रहा है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर रद किया गया था टेंडर

इस वर्ष मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के निर्देश पर वर्ष 2021 से चल रही टेंडर प्रक्रिया को रद कर दिया गया था। टेंडर तब रद किया गया जब एक कंपनी का चयन भी हो गया था। बस, उसे शासन से संचालन की स्वीकृति मिलनी थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव आ गया। मई, 2024 में पुलिस मुख्यालय की ओर से नए सिरे से डीपीआर तैयार कर स्वीकृति के लिए शासन को भेजी गई थी। गृह विभाग में इसके परीक्षण में तीन से चार माह लग गए। अब परियोजना मूल्यांकन समिति की स्वीकृति मिल पाई है।

नई कंपनी आने पर ये सुविधाएं बढ़ेंगी

-वाहनों में सीसीटीवी कैमरे और तैनात पुलिसकर्मियों को बाडीवार्न कैमरे दिए जाएंगे, जिससे घटनास्थल की रिकार्डिंग हो सके।

– जीपीएस के माध्यम से फोन करने वाले की सही लोकेशन ली जाएगी। इसके लिए निजी मैप प्रोवाइडर की मदद ली जाएगी।

– काल सेंटर में फोन उठाने वालों की संख्या 80 से बढ़ाकर 100 की जाएगी।

– ऐसी सुविधा रहेगी, जिसमें फोन करने वाले का नंबर डायल-100 के पुलिसकर्मियों को पता नहीं चलेगा।

– नए टेंडर में ऐसे वाहन रखने की तैयारी है जो और तेजी से घटनास्थल पर पहुंच सकें और इनमें अधिक लोग बैठ सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *