बैंक अकाउंट, एफडी, लॉकर, इंश्योरेंस आदि में नॉमिनी का नाम जरूर लिखवाएं, नहीं तो होगा ये नुकसान

Share on Social Media

नई दिल्ली
 रोहित (बदला हुआ नाम) एक प्राइवेट कंपनी में सीनियर पोस्ट पर थे। उन्होंने 30 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस कराया था। साथ ही वे शेयर मार्केट में भी पैसे निवेश करते थे। एक दुर्घटना में उनका निधन हो गया। जब उनके पिता इंश्योरेंस की रकम लेने बीमा कंपनी पहुंचे तो उन्हें पैसा नहीं मिला। कारण था कि रोहित ने अपने इंश्योरेंस में नॉमिनी का नाम नहीं लिखवाया था।

इसी प्रकार उन्हें शेयर का भी पैसा भी नहीं मिला, क्योंकि उसमें भी कोई नॉमिनी नहीं था। बाद में उन्हें एक वकील की मदद लेनी पड़ी। कोर्ट-कचहरी के काफी चक्कर लगाने के बाद उन्हें अपने बेटे की रकम मिली। इसमें पैसा और समय दोनों खर्च हुए। परेशानी हुई वह अलग।

कौन होता है नॉमिनी?

नॉमिनी वह शख्स होता है जो अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद अकाउंट से उसके पैसे को निकाल सके। यह शख्स परिवार का सदस्य या दोस्त या जानकार, कोई भी हो सकता है। अकाउंट होल्डर जब चाहे, अपने अकाउंट से नॉमिनी का नाम बदल सकता है। काफी लोग नॉमिनी के तौर पर किसी संस्था का भी नाम लिखवा देते हैं। नॉमिनी वसीयतनामे से बिल्कुल अलग है। वसीयतनामे में वह शख्स अकाउंट होल्डर की संपत्ति का मालिक हो जाता है, जबकि नॉमिनी जरूरी नहीं कि मालिक हो।

संपति का मालिक नहीं होता नॉमिनी

नॉमिनी अकाउंट होल्डर की संपत्ति का मालिक नहीं, बल्कि केयरटेकर होता है। नॉमिनी अगर अकाउंट होल्डर की संपत्ति का कानूनी तौर पर अकेला वारिस है तो वह उस संपत्ति को अपने पास रख सकता है। वहीं अगर कानूनी वारिस नहीं है तो उसकी जिम्मेदारी है कि वह उस संपत्ति को मृतक के कानूनी वारिसों में बांट दे।

अकाउंट होल्डर की मृत्यु के बाद बैंक या दूसरे वित्तीय संस्थान अकाउंट में जमा रकम नॉमिनी को दे देते हैं। इसके बाद नॉमिनी की जिम्मेदारी है कि वह उस रकम को मृतक के वारिसों तक पहुंचाए। अगर वह रकम उन्हें नहीं पहुंचाता है तो यह मामला नॉमिनी और मृतक के वारिसों के बीच का हो जाता है। यहां बैंक की कोई भूमिका नहीं रहती।

कब जुड़वाएं नॉमिनी?

बैंक अकाउंट, पॉलिसी, इंश्योरेंस, डीमैट अकाउंट, लॉकर, एफडी आदि में नॉमिनी का नाम जरूर लिखवाना चाहिए। वैसे तो नॉमिनी के तौर पर किसी भी शख्स का नाम लिखवा सकते हैं। लेकिन जानकार कहते हैं कि अकाउंट होल्डर के निधन के बाद परिवार के लोग कानूनी चक्कर में न पड़ें, इससे बेहतर है कि उसी शख्स का नाम लिखवाएं जो कानूनी वारिस हो। अगर अकाउंट खुलवा लिया है और नॉमिनी का नाम नहीं लिखवाया है तो अब भी नाम लिखवा सकते हैं। अकाउंट में एक से ज्यादा नॉमिनी का भी नाम लिखवा सकते हैं।

नॉमिनी न होने पर पड़ सकते हैं ये चक्कर

    बैंक या इंश्योरेंस कंपनी मृतक की रकम को उसके परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं देगी। बैंक लीगल वारिस के लिए कोर्ट की तरफ से जारी पेपर मांग सकता है।

    कई बार कोई दूर का रिश्तेदार या अनजान शख्स भी खुद काे मृतक का वारिस घोषित कर देता है। ऐसे में मामला और उलझ जाता है।

    अगर परिवार के सदस्यों में आपसी कलह हो जाए तो मामला कोर्ट तक चला जाता है। इसका फैसला होने में 6 महीने या कई साल तक लग सकते हैं।

    परिवार के लोग किसी कानूनी चक्कर में न फंसें, इसलिए आज ही अपने अकाउंट में कानूनी वारिस का नाम नॉमिनी के तौर पर लिखवाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *