विमुक्त, घुमन्तु एवं अर्ध-घुमंतु विद्यार्थियों को मुख्य धारा से जोड़ने में देश में तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश

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भोपाल
मध्यप्रदेश के विमुक्त, घुमन्तु एवं अर्ध-घुमन्तु समुदाय के 50 विद्यार्थियों का केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत संचालित फ्री कोचिंग और स्कॉलरशिप। स्कीम “बडी-फॉर-स्टडी’’ के लिये राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है। इसमें प्रदेश को यह सफलता मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में विमुक्त, घुमन्तु और अर्ध-घुमन्तु कल्याण विभाग की मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर और अधिकारियों के अथक प्रयासों से मिली है। मंत्री श्रीमती गौर ने इसके लिए केन्द्र सरकार का आभार व्यक्त किया है।

विमुक्त, घुमन्तु एवं अर्ध-घुमन्तु समुदाय के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय बोर्ड एवं विकास बोर्ड की सीड परियोजना में आवास, आजीविका, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। विभाग में पहली बार समुदाय के विद्यार्थियों की कोचिंग “बडी-फॉर-स्टडी’’ के माध्यम से संचालित की जा रही है। विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजीत केसरी के मार्गदर्शन में 11 नवंबर को राज्य स्तरीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया, इसमें जिलों में तैनात सहायक संचालकों को बडी-फॉर-स्टडी के प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को योजना की विस्तृत जानकारी के साथ ही बताया गया कि विमुक्त, घुमन्तु और अर्ध-घुमन्तु समुदाय के विद्यार्थियों को किस तरह आवेदन कराया जाएगा। जिलों में तैनात अधिकारियों ने विद्यार्थियों को इस राष्ट्रीय स्तर की निःशुल्क कोचिंग योजना के लिये “बडी-फॉर-स्टडी’’ पोर्टल पर आवेदन कराया गया।

पहली ही बार में मध्यप्रदेश के 50 विद्यार्थियों का राष्ट्रीय स्तर की इस कोचिंग एवं स्कॉलरशिप के लिए चयन हुआ है। चयनित विद्यार्थियों में खरगौन के 12, सतना के 09, इंदौर के 06, गुना के 05, ग्वालियर के 05, अशोकनगर के 02, सागर के 02 और बड़वानी, भोपाल, बुरहानपुर, देवास, जबलपुर, कटनी, खंडवा, पन्ना और उमरिया के 01-01 विद्यार्थी सम्मिलित हैं। भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय द्वारा गठित राष्ट्रीय बोर्ड विमुक्त, घुमन्तु एवं अर्ध-घुमन्तु समुदाय कल्याण एवं विकास बोर्ड द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्तर की इस निःशुल्क कोचिंग व स्कॉरलशिप के लिए 50 बच्चों के चयन से मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर रहा है। इससे राज्य के विमुक्त, घुमन्तु एवं अर्ध-घुमन्तु समुदायों को एक नई दिशा मिलेगी।

 

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