कैलाश खेर को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत
मुंबई
बॉलीवुड के मशहूर सिंगर कैलाश खेर को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सिंगर के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाए गए कि उन्होंने भगवान शिव पर 'बबम बम' गाना बनाकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम किया है। यह गाना कैलाश खेर के 'कैलासा झूमो रे' एल्बम से है। हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए खरी-खरी टिप्पणी की है। जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस श्याम चांडक की पीठ ने लेखक एजी नूरानी के हवाले से कहा कि असहिष्णुता और रूढ़िवादिता से असहमति भारतीय समाज के लिए अभिशाप रही है।
कैलाश खेर के इस गाने के खिलाफ पंजाब में शिकायत दर्ज की गई थी। आरोप लगाया गया कि इसके म्यूजिक वीडियो में एक किसिंग सीन है और झंडे को जलते हुए दिखाया गया है। सिंगर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए और 298 के तहत धार्मिक भावनाओं का अपमान मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने कहा- कैलाश खेर ने सिर्फ 'बबम बम' गाना गाया
जस्टिस डांगरे और जस्टिस चांडक की बेंच ने मामले में फैसला सुनाते कहा, 'कैलाश खेर की ओर से किसी तरह की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था, उन्होंने केवल 'बबम बम' गीत गाया था।' यह फैसला 4 मार्च को दिया गया, जिसकी कॉपी गुरुवार को उपलब्ध करवाई गई है।
लुधियाना की अदालत में दर्ज हुआ था केस
कैलाश खेर के खिलाफ यह शिकायत लुधियाना की एक स्थानीय अदालत में नरिंदर मक्कड़ नाम के व्यक्ति ने दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने खुद को भगवान शिव का भक्त होने का दावा किया और कहा कि भगवान शिव पर खेर के गीत 'बबम बम' में एक अश्लील वीडियो दिखाया गया है, जिसमें कम कपड़े पहने महिलाओं और लोगों को चूमते दिखाया गया है। यह याचिका लुधियाना में इलाका न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर की गई थी।
'हर वो चीज जो एक वर्ग को नहीं पसंद, वो धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं'
हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कैलाश खेर के गाए गीत के बोल भगवान शिव की स्तुति और उनके शक्तिशाली चरित्र के गुणों के अलावा और कुछ नहीं हैं। न्यायालय ने कहा, 'हर वह काम जो लोगों के एक वर्ग को नापसंद हो सकता है, जरूरी नहीं कि वह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए।'
असहिष्णुता और रूढ़िवादिता पर कोर्ट ने कही ये बात
इसी कड़ी में हाई कोर्ट की बेंच ने लेखक एजी नूरानी को उद्धृत करते हुए कहा, 'असहिष्णुता और रूढ़िवादिता से असहमति को बर्दाश्त न करना सदियों से भारतीय समाज का अभिशाप रहा है। लेकिन असहमति के अधिकार को उसकी सहिष्णुता मात्र से अलग स्वीकार करने में ही स्वतंत्र समाज अपनी पहचान बनाता है।'
HC ने IPC की धारा 295A को किया स्पष्ट
पीठ ने आदेश में कहा कि IPC की धारा 295A के तहत अपराध के लिए, व्यक्ति द्वारा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर किया गया प्रयास होना चाहिए। कैलाश खेर के खिलाफ एकमात्र आरोप ये है कि वह वीडियो में कुछ कम कपड़े पहने लड़कियों के साथ नाच रहे हैं, जो शिकायतकर्ता के अनुसार अश्लील है और इसलिए उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। यह कैलाश खेर के खिलाफ अपराध नहीं बनता है, क्योंकि उनकी ओर से कोई जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं है, वह सिर्फ गाना गा रहे हैं।
2014 में दर्ज हुआ था केस, उसी साल HC पहुंचे थे कैलाश खेर
जानकारी के लिए बता दें कि कैलाश खेर ने 2014 में इस मामले में हाई कोर्ट का रुख किया था। उसी साल पंजाब के लुधियाना कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। उस समय, हाई कोर्ट ने अंतरिम राहत देते हुए कहा था कि सिंगर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
वकील ने कहा- वीडियो सेंसर बोर्ड से मंजूरी के बाद रिलीज हुआ
वकील अशोक सरोगी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कैलाश खेर ने कहा कि वह केवल गाने के सिंगर हैं। वीडियो को सोनी म्यूजिक एंटरटेनमेंट के माध्यम से एक अन्य कंपनी द्वारा कोरियोग्राफ किया गया था। कोर्ट में सरोगी ने तर्क दिया था कि गाने का वीडियो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड)द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद ही जारी किया गया था।