सिंगापुर में भारतीय मूल के रैपर सुभाष नायर को हुई जेल, जाने क्या है गुनाह

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सिंगापुर
सिंगापुर में भारतीय मूल के रैपर सुभाष नायर को जेल हो गई है। सुभाष नायर के खिलाफ यह केस नस्लवाद को लेकर आवाज उठाने पर हुआ है। पांच फरवरी को उन्हें छह हफ्तों के लिए जेल में डाल दिया गया। 32 साल के सुभाष ने सिंगापुर में चीन को मिलने वाली छूट और अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार को लेकर लगातार आवाज उठाई है। उनके खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट्स और कार्यक्रमों के दौरान नस्लवाद पर बोलने के कई केस हैं। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि वह सिंगापुर में भेदभाव के खिलाफ मुंह खोलने की सजा पा रहे हैं। उनके मुताबिक सिंगापुर के अधिकारी उनकी सामाजिक लड़ाई को रोकने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

क्या हैं मामले
सुभाष नायर की मुश्किलें 2020 में शुरू हुईं जब उन्हें अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट पर चेतावनी मिली। यह पोस्ट उन्होंने 2019 के ऑर्चर्ड टॉवर्स मर्डर को लेकर की थी। इस घटना में 31 साल के भारतीय मूल के सिंगापुरियन सतीश नोएल गोबीदास की कुछ लोगों ने चाकू मारकर हत्या कर दी थी। मामले में चैन जिया जिंग के ऊपर पहले तो हत्या का मामला दर्ज किया गया। लेकिन बाद में कुछ शर्तों पर उसके केस को कमजोर करते हुए चेतावनी दे दी गई। इसके मामले में नस्लीय पूर्वाग्रह के आरोप लगे थे।

इंस्टाग्राम पर पोस्ट
सुभाष ने इस मामले को लेकर इंस्टाग्राम पर पोस्ट लिखी थी। इसमें उन्होंने लिखा कि ‘नस्लवाद और चीनी विशेषाधिकार की आलोचना करना=दो साल की सशर्त चेतावनी और मीडिया में बदनामी का अभियान। एक भारतीय आदमी की हत्या की साजिश करना=हल्की सजा और मीडिया की सहानुभूति। इसको लेकर भी सुभाष को चेतावनी मिली थी। लेकिन उन्होंने अपने म्यूजिक शोज और कार्यक्रमों के दौरान नस्लवाद के मामलों को उठाना जारी रखा। साल 2021 में एक कार्यक्रम के दौरान ऑर्चर्ड टॉवर केस में अपनी पोस्ट को लेकर संकेत किया था। बाद में इस केस में उनके खिलाफ केस हुआ था।

इसी तरह साल 2019 में अभिनेता डेनिस चियू को एक सरकारी विज्ञापन में दिखाने की सुभाष ने आलोचना की थी। इस मामले में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इस वीडियो में चाइनीज सिंगापुरियंस के लिए आक्रामक भाषा इस्तेमाल की गई थी। इसी तरह 2021 में एक सोशल मीडिया पोस्ट पर भी उनके खिलाफ आरोप लगा था। इसमें उन्होंने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर जोआना थेंग और सिटी रिवाइवल चर्च के संस्थापक जेमी वोंग के खिलाफ ढंग से कार्रवाई न होने पर आलोचना की थी। इन दोनों ने एलजीबीटीक्यू आंदोलन को शैतान से जोड़ा था। नायर ने तर्क दिया कि अगर दो मलय मुसलमानों ने ऐसा किया होता तो जांच तेजी से होती।

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