भारत ने ट्रंप को दिया करारा जवाब: रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी पर कायम रहेगा भरोसा

Share on Social Media

वाशिंगटन 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत को  25% टैरिफ लगाने की धमकी  और रूस से तेल खरीद को लेकर  प्रतिबंधों की चेतावनी के बावजूद, भारत ने साफ किया है कि वह  रूस के साथ अपने रक्षा और रणनीतिक सहयोग को कमजोर नहीं होने देगा । मॉस्को में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस के उप रक्षा मंत्री कर्नल जनरल अलेक्जेंडर फोमिन के बीच हुई बैठक में दोनों देशों ने मजबूत रक्षा सहयोग की पुन: पुष्टि की।

ट्रंप की सख्त भाषा: "भारत को कीमत चुकानी होगी"
हाल ही में ट्रंप ने दो कड़े रुख अपनाए।    ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि यदि भारत रूस से तेल और हथियार खरीदना जारी रखता है, तो अमेरिका भारत से आयात होने वाले कई प्रमुख उत्पादों पर  25% आयात शुल्क (Tariff) लगा सकता है। ट्रंप ने यह भी दोहराया कि रूस से कच्चा तेल और रक्षा उपकरण खरीदने पर भारत को CAATSA के तहत सजा दी जा सकती है।  ट्रंप ने कहा कि "भारत अगर रूस को समर्थन देता है, तो उसे अमेरिका से व्यापार में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।" 
 
भारत का दो टूक जवाब 
भारत ने दो टूक कहा है कि उसकी नीति "रणनीतिक स्वायत्तता"  पर आधारित है, और वह  किसी दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकेगा। रूस से भारत की दोस्ती गहरी और पुरानी है और हमेशा रहेगी। भारत और रूस के संबंध ऐतिहासिक और विश्वसनीय रक्षा साझेदारी पर आधारित हैं। भारत रूस से Su-30MKI,  S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, पनडुब्बी तकनीक, और ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली सहित कई सामरिक रक्षा सौदे कर चुका है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, भारत के राजदूत विनय कुमार और रूसी उप रक्षा मंत्री फोमिन की यह बैठक "पारंपरिक गर्मजोशी और दोस्ती के माहौल में" हुई जिसमे रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और मज़बूत करने की रणनीति,  हथियार प्रणालियों के संयुक्त विकास और विनिर्माण पर चर्चा की गई तथा  भारत-रूस के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग को लंबी अवधि तक बनाए रखने का संकल्प लिया।
 
भारत की संतुलित नीति
 अमेरिका और पश्चिमी देशों की नाराज़गी के बावजूद भारत ने रूस से रियायती दरों पर तेल आयात  करना जारी रखा। भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर  यूक्रेन युद्ध पर संतुलित रुख अपनाता रहा है।  विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की यह रणनीति उसे बहुध्रुवीय वैश्विक शक्ति** के रूप में उभार रही है। भारत का मानना है कि रूस के साथ रक्षा संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करते हैं।रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta)  को बढ़ावा देते हैं और  पश्चिमी दबाव के बावजूद  वैश्विक स्तर पर स्वतंत्र कूटनीति को दर्शाते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *