भारत में सरकार ने पहली बार किसानों के साथ कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग सौदों पर किए हैं हस्ताक्षर

Share on Social Media

नई दिल्‍ली
सरकार ने पहली
बार किसानों के साथ 1,500 हेक्टेयर जमीन पर दालें (अरहर और मसूर) उगाने के लिए कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग यानी अनुबंध खेती सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं। ऐसा तमिलनाडु, बिहार, झारखंड और गुजरात जैसे राज्यों में किया गया है। यह पायलट डील ऐसे राज्यों में खेती का विस्तार करके दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने की योजना का हिस्सा है जहां किसान परंपरागत रूप से दालें उगाने के इच्छुक नहीं हैं।

यह सौदा किसानों और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (NCCF) के बीच हुआ है। इसके तहत किसान अपनी जमीन पर अरहर और मसूर उगाएंगे। एजेंसी सरकार के बफर स्टॉक के लिए उनकी उपज का एक हिस्सा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) या बाजार मूल्य पर खरीदेगी, जो भी अधिक हो।

आगे क्‍या है योजना?

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खरीद की मात्रा इस साल बफर स्टॉक के हिसाब से ज्यादा नहीं होगी। लेकिन, उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में जब कॉन्‍ट्रैक्‍ट फार्मिंग के तहत अधिक क्षेत्र लाया जाएगा तो यह बढ़ेगा।

फिलहाल, सरकार की ओर से रजिस्‍टर्ड दाल उत्पादकों की पूरी उपज खरीदने की प्रतिबद्धता के बावजूद सरकारी एजेंसियां खरीद लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। कारण है कि उत्पादन में गिरावट के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। इससे निजी कंपनियां किसानों को अधिक दाम दे रही हैं।

पिछले साल से दालों की महंगाई ऊंची बनी हुई है। अनियमित बारिश ने लगातार दो साल तक फसल के आकार को कम कर दिया है। इससे सरकार को घरेलू सप्‍लाई बढ़ाने के लिए आयात प्रतिबंधों को हटाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

सरकार ने किसानों से वादा किया है कि वे MSP या बाजार मूल्य पर अरहर, उड़द और मसूर की असीमित मात्रा में खरीद करेंगे, जो भी अधिक हो, बशर्ते वे इसके पोर्टल पर पंजीकरण कराएं।

महंगाई पर न‍िशाना

आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई और अगस्त में 6% के निशान से नीचे रहने के बाद सितंबर में खाद्य महंगाई दर में 9.24% की बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते खुदरा महंगाई दर सितंबर में नौ महीनों के ऊंचे स्तर 5.5% पर वापस आ गई है।

हालांकि, अच्छी बुवाई और अधिक उपज की संभावना के कारण पिछले महीने दालों की कीमतों में गिरावट आई। 16 महीनों में पहली बार 10% से अधिक की मुद्रास्फीति की गति से घटकर 9.81% रह गई।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, सब्जियों और दालों की बढ़ती कीमतों के कारण सितंबर में घर पर पकाए जाने वाली शाकाहारी थाली की लागत में साल-दर-साल 11% की वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दालों की कीमतें, जो शाकाहारी थाली की लागत का 9% हिस्सा हैं, 2023 में उत्पादन में गिरावट के कारण 14% बढ़ी हैं। इससे इस साल शुरुआती स्टॉक कम हुआ। इससे थाली की कीमतों में और बढ़ोतरी हुई है।

पिछले कुछ वर्षों में दालों के उत्पादन में गिरावट आई है। वहीं, डिस्पोजेबल इनकम और अधिक जनसंख्या के कारण मांग में बढ़ोतरी हुई है।

लगातार घट रहा है उत्‍पादन

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 27.3 मिलियन टन से दालों का उत्पादन वित्तीय वर्ष 2022-23 में घटकर 26 मिलियन टन और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 24.5 मिलियन टन रह गया।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हाल के वर्षों में दालों का आयात काफी बढ़ा है। यह वित्त वर्ष 2023-24 में 4.7 मिलियन टन हो गया। भारत में दालों की वर्तमान वार्षिक खपत लगभग 27 मिलियन टन अनुमानित है।

भारत मोजाम्बिक, तंजानिया, मलावी और म्यांमार से अरहर और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, रूस और तुर्की से मसूर का आयात करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *