संत प्रेमानंद के समर्थन में धीरेंद्र शास्त्री का बयान: सत्य बोलना आसान नहीं

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छतरपुर

स्त्री और पुरुषों को चरित्रवान बनने का उपदेश देने के बाद वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ट्रोलर्स के निशाने पर हैं। कई लोग उनके विरोध में सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहे हैं। बागेश्वर धाम पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उनका समर्थन कर ट्रोल करने वालों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने यह तक कह दिया कि इस देश में सत्य बोलना बहुत कठिन है।

‘कुछ लोग डर-डर कर हिंदू-हिंदू चिल्लाते हैं’
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा, ‘कुछ लोगों को उनसे समस्या थी। जिससे उन्हें लगा कि वे उपद्रवी व्यक्ति हैं। उन्होंने बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि लोग अब तक डर-डर कर हिंदू-हिंदू चिल्लाते हैं। जबकि वे मंचों से खुलकर बोलते हैं। कुछ राजनेता जातियों के नाम पर राजनीति करते हैं। जबकि वे जातिवाद के खिलाफ और राष्ट्रवाद के पक्ष में हैं। इसलिए लोगों को बुरा लगता है।’

‘माला के साथ भाला रखें’
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, ‘इस देश में हवस के पुजारी हैं तो हमने कहा हवस का मौलवी या पास्टर भी तो हो सकता। शायद इसलिए लोगों को बुरा लगता है। उन्होंने देश में माला के साथ भाला रखने की बात भी की जबकि लोग मंचों से गंगा-जमुनी की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी क्यों नहीं हो सकती? शायद इसी वजह से उनका विरोध होता है और उन्हें गालियां मिलती हैं।’
‘प्रेमानंद महाराज के विरोध से समझ आ गया, देश में सत्य बोलना कठिन है’

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर कुछ लोग हमारे विरुद्ध षडयंत्र रचते हैं तो हमें लगा कि हममें ही दोष हैं। लेकिन जब लोगों ने बाबा प्रेमानंद जी का विरोध किया, तो यह स्पष्ट हो गया कि कुछ लोगों के पेट में समस्या है। महात्मा प्रेमानंद जी, जो उपदेशक और भजन प्रेमी हैं, उनका विरोध करना इस बात का प्रमाण है कि कई लोगों के पेट में आंतरिक समस्याएँ हैं। उस दिन के बाद मुझे यह भी लगा कि इस देश में सत्य बोलना बहुत कठिन है। यह भी सत्य है कि हर स्त्री और व्यक्ति बुरा नहीं होता और हर किसी का अपने समाज को देखने का तरीका होता है। हर मज़हब में सभी व्यक्ति बुरे नहीं होते, लेकिन कुछ तो होते हैं। भले ही बुरे लोगों की भीड़ हो, यदि उसमें एक भी सत्यवादी व्यक्ति पहुंच जाता है तो सबकी नज़र उसी पर जाएगी।’

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