सीएम डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि मनमोहक मुख्यमंत्री है : उपराष्ट्रपति

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ग्वालियर

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जीवाजी विश्वविद्यालय के 60वें स्थापना दिवस के मौके पर जीवाजी राव सिंधिया की मूर्ति का अनावरण किया। इस दौरान वह भावुक भी दिखे और थोड़ा मजाकिया अंदाज में भी रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि मनमोहक मुख्यमंत्री कहा। उन्होंने कहा कि आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूंगा। इस दौरान उन्होंने जीवाजी यूनिवर्सिटी के छात्रों को पार्लियामेंट में विजिट करने के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद रहे।
जीवाजी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट को पार्लियामेंट विजिट के लिए किया आमंत्रित

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने भाषण में कहा, सिंधिया परिवार की थ्री जनरेशन देश की राजनीति में है, लगातार संसद में बनी हुई है। मैं जब राजनीति में था तब मुझे अंदाज नहीं था कि राजमाता सिंधिया का आशीर्वाद मुझे कहां तक ले जाएगा। महाराजा जीवाजीराव सिंधिया ने शिक्षा में रुचि दिखाने का जो मार्ग दिखाया था, उसे हर संस्थान को आगे लेकर जाना है और शिक्षा को accessible बनाने में अपना योगदान देना है। उन्होंने जीवाजी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को दिल्ली में पार्लियामेंट विजिट के लिए आमंत्रित कर कहा, ‘न्योता स्वीकार करने में देरी नहीं करनी चाहिए।’

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने जियो साइंस म्यूजियम और जीवाजी विश्वविद्यालय के मूर्ति अनावरण को लेकर कहा, “ये अपने आप में बड़ा काम है। भूविज्ञान के क्षेत्र में पृथ्वी को लेकर जो चीजें दर्शायी गई है, भूगर्भीय घटना बताई गई है। जीवाजी राव सिंधिया ने भी देश की अलग अलग यूनिवर्सिटी में कुलाधिपति की भूमिका निभाई है। आज मैंने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया है, काफी हर्ष का विषय है। श्री जीवाजी विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित महाराज श्रीमंत जीवाजीराव सिंधिया की प्रतिमा युवाओं के लिए पाथेय का कार्य करेगी।

भावुक हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस अवसर पर भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “मेरे लिए भावुक झण है। उप राष्ट्रपति से मेरे स्वर्गीय पिताजी के संबंध थे। आपके नेतृत्व में और पीएम मोदी के काल में एक नए युग की शुरुआत हो रही है। मेरे आजोबा दादा ने मध्य भारत के प्रमुख ने 250 एकड़ में जीवाजी विश्वविद्यालय की शुरुआत की थी। राजमाता ने भूमिपूजन किया था। ये केवल ध्यान, ज्ञान का केंद्र नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा जगत का संस्थान बन गया है। जो बीज 60 साल पहले बोया था वो वट वृक्ष के रूप में तब्दील हो गई है। सीएम के मार्गदर्शन में देश की टॉप टेन यूनिवर्सिटी में शामिल हो गई है।

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