उपराष्ट्रपति चुनाव में फिर बीजेपी की वापसी तय? NDA दोहराएगा धनखड़ जैसी बड़ी जीत!
नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने उनके विकल्प की तलाश शुरू कर दी है. उपराष्ट्रपति पद के चुनाव का औपचारिक ऐलान होने के साथ ही सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी 'डिनर डिप्लोमेसी' के जरिए उपराष्ट्रपति के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, तो बीजेपी ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी सियासी कवायद शुरू कर दी है.
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 9 सितंबर को मतदान का ऐलान किया है, जिसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू हो रही है. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व उपराष्ट्रपति पद के लिए व्यापक समर्थन जुटाने की रणनीति बनाने में जुट गया है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक हुई, जिसमें उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर मंथन किया गया. इसके अलावा जगदीप धनखड़ जैसी बड़ी जीत के लिए गैर-एनडीए दलों का समर्थन जुटाने का प्लान बनाया गया है. पार्टी के सामने उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का विकल्प ढूंढने के साथ-साथ 2022 की तरह बड़ी जीत हासिल करने की चुनौती है.
बीजेपी उपराष्ट्रपति पद के लिए एक ऐसे नेता को उम्मीदवार बनाने की रणनीति बना रही है, जो पार्टी के साथ-साथ आरएसएस की विचारधारा में भी फिट बैठ सके. इसके अलावा, एनडीए के साथ-साथ दूसरे दलों का समर्थन भी उसके नाम पर आसानी से जुटाया जा सके. इसकी कमान अमित शाह ने अपने हाथ में संभाल रखी है.
उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को होगा चुनाव
चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को देश के 17वें उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 7 अगस्त को अधिसूचना जारी हो जाएगी, जिसके साथ नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. उपराष्ट्रपति पद के लिए 21 अगस्त तक उम्मीदवार अपने नामांकन दाखिल कर सकेंगे. 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच होगी और उम्मीदवार 25 अगस्त तक अपने नाम वापस ले सकते हैं.
उपराष्ट्रपति पद पर एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर 9 सितंबर को मतदान होगा. संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101 वसुधा, प्रथम तल में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक मतदान होगा. वोटिंग खत्म होने के बाद मतगणना शुरू हो जाएगी. इस तरह, नतीजे 9 सितंबर की शाम तक घोषित कर दिए जाएंगे. लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मतदान में हिस्सा लेते हैं.
उपराष्ट्रपति के लिए बीजेपी की सियासी कवायद
बीजेपी ने उपराष्ट्रपति चुनाव की सियासी हलचल को देखते हुए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इकोनॉमिक्स टाइम्स के मुताबिक, अमित शाह के कार्यालय में सोमवार को एक बैठक हुई, जिसमें बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष, महासचिव विनोद तावड़े और सुनील बंसल जैसे नेता शामिल हुए थे. बैठक में आगामी राज्यों के चुनाव के साथ-साथ उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर पार्टी की रणनीति पर चर्चा हुई.
बीजेपी नेतृत्व ने तय किया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग के लिए एनडीए सांसदों के लिए एक ट्रेनिंग सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें उन्हें मतदान प्रक्रिया और बैलेट पेपर के प्रारूप से अवगत कराया जाएगा. इसके अलावा, एनडीए के साथ-साथ गैर-एनडीए दलों का समर्थन जुटाने की रणनीति बनाई गई है. इसके लिए पार्टी के कुछ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपने की योजना बनाई गई है ताकि समय रहते उनसे संपर्क और संवाद करके समर्थन जुटाया जा सके.
धनखड़ से भी बड़ी जीत का बीजेपी बना रही प्लान
बीजेपी की कोशिश जगदीप धनखड़ से भी बड़ी जीत की इबारत लिखने की है. 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ थे, तो विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता मारग्रेट अल्वा उम्मीदवार थीं. धनखड़ ने मारग्रेट अल्वा को भारी मतों से हराया था. जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे, जबकि मारग्रेट अल्वा को 182 सांसदों का ही समर्थन मिल सका था.
जगदीप धनखड़ को मिली भारी मतों से जीत में एनडीए दलों के समर्थन के साथ-साथ कई गैर-एनडीए दलों का भी अहम योगदान था. नवीन पटनायक की बीजेडी, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और मायावती की बसपा ने एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ को समर्थन दिया था. इस बार भी उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने 2022 की तरह समर्थन की उम्मीद लगाई हुई है. बीजेपी ने वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और बीजेडी के नेताओं से संपर्क साधने का काम अपने नेताओं को सौंप दिया है.
विपक्ष उपराष्ट्रपति के लिए तलाश रहा संयुक्त प्रत्याशी
विपक्षी इंडिया गठबंधन उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी में जुट गया है, जिसके लिए संयुक्त उम्मीदवार उतारने की योजना बना रहा है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 7 अगस्त को विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं को अपने आवास पर दावत दी है, जिसमें माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार को लेकर फैसला किया जाएगा. इस तरह, कांग्रेस ने विपक्षी दलों की किलेबंदी अभी से शुरू कर दी है, ताकि 2022 की तरह किसी तरह की कोई गलती न हो.
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पहली बार है, जब इंडिया गठबंधन के नेता एकजुट हो रहे हैं. राहुल गांधी ने दावत ऐसे समय रखी है, जब अगले उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो गई है. ऐसे में उपराष्ट्रपति पर संयुक्त रणनीति तैयार करने की कोशिश में राहुल गांधी लगे हैं. विपक्षी दलों का मानना है कि एक मजबूत उम्मीदवार के साथ वे उपराष्ट्रपति चुनाव को रोचक बना सकते हैं, और भले ही एनडीए के उम्मीदवार को जीत से न रोक सकें, लेकिन धनखड़ जैसी बड़ी जीत से जरूर पीछे रख सकते हैं.
धनखड़ से बड़ी जीत के लिए बीजेपी को क्या करना होगा
बीजेपी की रणनीति एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश करना है, जिसके नाम को आगे करके विपक्षी किलेबंदी में सेंध लगाई जा सके. यह कदम बीजेपी की क्षेत्रीय संतुलन और व्यापक समर्थन हासिल करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसद हैं, जिसमें से बीजेपी को करीब 425 सांसदों का समर्थन हासिल है. लेकिन धनखड़ को मिले 528 वोटों से करीब 103 वोट कम है. ऐसे में धनखड़ जैसी जीत के लिए एनडीए को 100 से ज्यादा सांसदों का समर्थन और जुटाना होगा, जबकि विपक्ष की रणनीति एनडीए को 425 के आंकड़े पर रोकने की है.