भाजपा ने यमुना नदी को साफ और स्वच्छ बनाने का वादा जनता से किया, अब बनाया मास्टर प्लान, PM की मंजूरी का इंतजार

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नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यमुना नदी को साफ और स्वच्छ बनाने का वादा जनता से किया था। चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद अब यह जिम्मेदारी नई भाजपा की सरकार की हो गई है कि यमुना को साफ करे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसको लेकर अपनी प्रतिबद्धता जता चुके हैं। अब एक सुखद खबर सामने आ रही है कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में यमुना नदी की सफाई करने के लिए एक 'यमुना मास्टर प्लान' तैयार किया है। इसे जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।

मिडिया ने रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है। आपको बता दें कि यमुना की सफाई बीजेपी के साथ-साथ आप (AAP) के लिए भी प्रमुख चुनावी मुद्दा था। पिछले सप्ताह, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आदेश पर प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी वादे के तहत दिल्ली में यमुना की सफाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

सूत्रों के अनुसार, 'यमुना मास्टर प्लान' के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने विशेषज्ञों से परामर्श किया है। इन्हीं विशेषज्ञों ने गुजरात के साबरमती नदी किनारे एक रिवर फ्रंट बनाया था। इसके अलावा मंत्रालय द्वारा कुछ बैठकें भी आयोजित की गईं। आपको बता दें कि यमुना सफाई परियोजना के चार प्रमुख तत्व हैं। कचरे और कीचड़ का निष्कासन, प्रमुख नालों की सफाई, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कड़ी निगरानी और इसका विस्तार।

दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद रेखा गुप्ता ने अपनी कैबिनेट मंत्रियों के साथ मिलकर वसुदेव घाट पर यमुना आरती की। दिल्ली बीजेपी द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में सीएम के अलावा दिल्ली बीजेपी प्रभारी बैजयंत जय पांडा, परवेश वर्मा, आशीष सूद, मंजींदर सिंह सिरसा और कपिल मिश्रा जैसे मंत्री आरती करते हुए देखे गए।

यमुना में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर दोनों दोलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप हुए। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि बीजेपी शासित हरियाणा दिल्ली की जल आपूर्ति को बाधित करके यमुना में "जहर" मिला रहा है। हालांकि हरियाणा ने इसका पुरजोर तरीके से खंडन किया। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली की बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की संभावना है। इसमें यमुना की सफाई भी शामिल है। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मासिह की पीठ ने यह टिप्पणी 'प्रदूषित नदियों का सुधार' मामले की सुनवाई के दौरान की।

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