AAP की PAC बैठक में बड़े फैसले, मनीष सिसोदिया देखेंगे पंजाब, गोपाल राय की जगह सौरभ भारद्वाज को दिल्ली का जिम्मा

Share on Social Media

 नई दिल्ली

आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी नेतृत्व बड़ा परिवर्तन हुआ है. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को पंजाब का प्रभारी नियुक्त किया गया है. वहीं, सत्येंद्र जैन को पंजाब का सह-प्रभारी बनाया गया है. इसके अलावा, सौरभ भारद्वाज को दिल्ली AAP संयोजक नियुक्त किया गया है. भारद्वाज ने गोपाल राय की जगह ली है.

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा और संजय सिंह पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक के लिए पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंचे हैं.

दिल्ली में AAP की हार के बाद आतिशी राजधानी में मुख्य जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. बतौर नेता विपक्ष आतिशी बीजेपी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार का मुकाबला करने के लिए राजनीतिक रणनीति तय करेंगी. विधानसभा चुनाव और दिल्ली सरकार पर होने वाले बड़े राजनीतिक हमलों की रणनीति आतिशी ही बनाएंगी. बड़े फैसलों में वो शीर्ष नेतृत्व की सहमति लेंगी. हालांकि, दिल्ली यूनिट का संगठनात्मक कार्य, पार्टी का विस्तार और फेरबदल का काम प्रदेश संयोजक गोपाल राय के अधीन रहेगा.

वहीं, दिल्ली इकाई संगठन के काम प्रदेश संयोजक गोपाल राय के अधीन रहेंगे। पार्टी की मजबूती से लेकर विस्तार और फेरबदल तक सभी काम गोपाल राय ही संभालेंगे।

पीएसी की मंजूरी के बाद आने वाले महीने में दिल्ली प्रदेश इकाई में बड़े स्तर पर फेरबदल देखने को मिलेगा। सूत्रों के अनुसार, ‘आप’ अपने शीर्ष नेतृत्व को तीन प्रमुख राज्यों – पंजाब, गुजरात और गोवा में तैनात करेगी, जहां पार्टी मजबूत स्थिति में है।

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व हेल्थ मिनिस्टर सत्येंद्र जैन पंजाब में ‘आप’ का काम देखेंगे। वे न सिर्फ संगठनात्मक कामों को संभालेंगे बल्कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा तय लक्ष्यों को लागू करने में प्रदेश संयोजक और पदाधिकारियों की मदद करेंगे। इसके साथ ही सिसोदिया ‘आप’ के वादों और पंजाब सरकार द्वारा मुख्य एजेंडों के लागू करने पर भी नजर रखेंगे। प्रभारी के तौर पर वे ‘आप’ हाईकमान और पंजाब इकाई के बीच पुल का काम करेंगे।

सूत्रों ने कहा कि सिसोदिया और जैन दोनों आने वाले महीनों में पंजाब में अधिक सक्रिय नजर आएंगे। इसका मकसद संगठनात्मक कार्यों से लेकर भगवंत मान सरकार की स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के साथ ‘पंजाब मॉडल’ बनाने में मदद करना है।

‘आप’ के लिए गुजरात भी एक और महत्वपूर्ण चुनावी रण का मैदान बना हुआ है। 2022 में पंजाब जीतने के बाद ‘आप’ ने भाजपा के इस ‘अभेद्य’ किले को भेदने की कोशिश की थी।

दिल्ली में ‘आप’ के लिए कानूनी मुश्किलें पैदा होने के बावजूद गुजरात में अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने भगवा गढ़ में पहली बार लड़े गए विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीती थीं। 'आप' को यहां लगभग 14 प्रतिशत वोट मिले थे।

सूत्रों ने बताया कि गुजरात में बड़े पैमाने पर संगठनात्मक विस्तार के सूत्रधार संदीप पाठक फिलहाल राज्य से दूर ही रहेंगे। इसलिए, गोपाल राय और दुर्गेश पाठक को गुजरात मामलों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई है।

गोवा में ‘आप’ के दो विधायक हैं। वह लगातार 6-7 प्रतिशत वोट शेयर पर बरकार रखे हुए है।

सूत्रों से पता चलता है कि सौरभ भारद्वाज को गोवा पर ध्यान केंद्रित करने का संकेत दिया गया था। हालांकि, दुर्गेश पाठक अभी गोवा के मामलों को अपने नियंत्रण में रख सकते हैं। 'आप' मुख्य विपक्षी दल के रूप में कांग्रेस की जगह लेने की कोशिश करेगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *