41 साल की उम्र में दूसरी बार मां बनी भारती सिंह, बड़े बेटे गोला से तीन साल का अंतर
मुंबई
कॉमेडियन भारती सिंह एक बार फिर मां बन गई हैं. भारती और उनके पति हर्ष लिंबाचिया ने अपने दूसरे बेटे का स्वागत किया है. खास बात ये है कि भारती ने अपने पहले बेटे गोला के जन्म के करीब तीन साल बाद दूसरे बच्चे को जन्म दिया है. जैसे ही ये खबर सामने आई, लोगों के मन में एक सवाल फिर से उठने लगा कि क्या तीन साल का गैप सही माना जाता है?
अक्सर कपल्स पहले बच्चे के बाद दूसरा बच्चा प्लान करने को लेकर कन्फ्यूजन में रहते हैं. बढ़ता खर्च, मां की सेहत, करियर या फिर अपनी निजी पसंद इन सब वजहों से कई लोग एक ही बच्चे तक सीमित रहना चाहते हैं. लेकिन जब परिवार की तरफ से दबाव बढ़ता है या बच्चे को भाई-बहन देने की बात आती है, तो दूसरा बच्चा प्लान करने का फैसला बदल भी जाता है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि दो बच्चों के बीच कितना गैप मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए सही होता है? क्या दो साल काफी हैं या फिर पांच साल का इंतजार बेहतर माना जाता है? आखिर दूसरे बच्चे के जन्म का सही या आइडियल गैप कितना होना चाहिए?
पहले और दूसरे बच्चे में भारती ने कितना रखा गैप?
भारती लाफ्टर शेफ्स सीजन 3 के सेट पर शूटिंग के लिए जाने वाली थीं, लेकिन घर पर ही अचानक लेबर पेन शुरू हो गया. वॉटर ब्रेक होते ही उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने बेटे को जन्म दिया. भारती सिंह के पहले बेटे गोला का जन्म 3 अप्रैल 2022 में हुआ था. ऐसे में गोला और दूसरे बेटे के जन्म के बीच लगभग 3 साल का अंतर है. आज के दौर में कई कपल्स इसी गैप को प्रेफर करते हैं, क्योंकि इससे मां की सेहत और बच्चों की देखभाल दोनों बेहतर तरीके से हो पाती है.
आखिर बच्चों के बीच कितना होना चाहिए सही गैप?
दूसरा बच्चा कब प्लान करना है, ये यूं तो पूरी तरह माता-पिता का निजी फैसला होता है. लेकिन इस फैसले में सबसे अहम भूमिका मां की सेहत की होती है. पहली प्रेग्नेंसी के बाद मां के शरीर को पूरी तरह ठीक होने के लिए समय चाहिए. ऐसे में दूसरा बच्चा तभी प्लान करना चाहिए, जब शरीर पहले गर्भ और डिलीवरी के असर से उबर चुका हो. बच्चों के बीच बहुत कम या बहुत ज्यादा गैप रखने के अपने-अपने फायदे और नुकसान होते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है.
12 से 18 महीने का गैप
अगर दो बच्चों के बीच 12 से 18 महीने का गैप हो, तो दोनों के बीच बॉन्डिंग काफी अच्छी बनती है. पहला बच्चा इतना छोटा होता है कि उसे जलन या इनसिक्यॉरिटी का एहसास नहीं होता और दोनों बच्चे एक-दूसरे के अच्छे प्लेमेट बन जाते हैं. हालांकि, इस तरह का कम गैप मां की सेहत पर भारी पड़ सकता है. लगातार नींद पूरी ना होना, दो बच्चों की देखभाल, ब्रेस्टफीडिंग और ट्रेनिंग जैसी जिम्मेदारियां एक साथ निभाना आसान नहीं होता. रिसर्च बताती है कि 18 महीने से कम गैप होने पर प्रीमैच्योर डिलीवरी, बच्चे का वजन कम होना और गर्भ में बच्चे की ग्रोथ धीमी रहने जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.
दो साल का गैप
कई डॉक्टरों का मानना है कि दो साल का गैप मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए बेहतर माना जाता है. इस समय तक मां का शरीर काफी हद तक रिकवर कर चुका होता है और पहला बच्चा भी इतना समझदार हो जाता है कि अपनी बातें इशारों या शब्दों में बता सके. इससे मां को दूसरे बच्चे की देखभाल में थोड़ी आसानी होती है और घर का माहौल भी ज्यादा बैलेंस्ड रहता है.
तीन साल या उससे ज्यादा का गैप
अगर बच्चों के बीच तीन साल या उससे ज्यादा का गैप रखा जाए, तो पहला बच्चा काफी हद तक अपने काम खुद से करने लगता है और खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है. इस दौरान मां का शरीर भी पहली प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग से पूरी तरह उबर चुका होता है. माता-पिता दोनों बच्चों को अलग-अलग ध्यान दे पाते हैं क्योंकि दोनों की जरूरतें और रुचियां अलग होती हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि लंबे गैप के बाद दोबारा प्रेग्नेंट होना शरीर के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है. कुछ मामलों में प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़े रिस्क बढ़ सकते हैं. अगर गैप पांच साल तक चला जाए, तो हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और किडनी से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी बढ़ सकता है.
क्या सलाह देते हैं डॉक्टर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO के मुताबिक, पहले और दूसरे बच्चे के बीच कम से कम 24 महीने का गैप होना चाहिए. इस दौरान मां का शरीर पहली प्रेग्नेंसी में खोए हुए पोषक तत्वों को दोबारा हासिल कर लेता है और अगली प्रेग्नेंसी के लिए बेहतर तरीके से तैयार होता है. अगर 24 महीने का गैप संभव न हो, तो भी कम से कम 18 महीने का अंतर जरूर रखा जाना चाहिए, ताकि मां और बच्चे दोनों की सेहत सुरक्षित रह सके.
