संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार- भारत बना दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश
संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत 2025 तक अनुमानित 1.46 अरब लोगों के साथ दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बना रहेगा. हालांकि इस दौरान एक महत्वपूर्ण बदलाव भी सामने आया है: देश की कुल फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.1 से घटकर 1.9 रह गई है.
जनसंख्या का आकार नहीं, बल्कि लोगों की स्वतंत्रता है असली मुद्दा
2025 विश्व जनसंख्या आंकड़ा (SOWP) रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि असली संकट जनसंख्या के आकार में नहीं है बल्कि लोगों के स्वतंत्र और ज़िम्मेदारी से यह तय करने में आने वाली व्यापक चुनौतियों में है कि वे बच्चे चाहते हैं या नहीं, कब चाहते हैं और कितने बच्चे चाहते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वर्तमान जनसंख्या 1,463.9 मिलियन (लगभग 1.46 अरब) है. रिपोर्ट के अनुसार भारत अब दुनिया का सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश है जिसकी आबादी लगभग 1.5 बिलियन है. यह संख्या गिरने से पहले लगभग 1.7 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है.
फर्टिलिटी रेट में दर्ज की गई गिरावट: क्या हैं इसके मायने?
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कुल फर्टिलिटी रेट (TFR) वर्तमान में प्रति महिला 2.0 बच्चे हैं. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दर 2020 से स्थिर बनी हुई थी. हालांकि नई UNFPA रिपोर्ट में दिखाया गया है कि फर्टिलिटी रेट घटकर 1.9 बच्चे प्रति महिला हो गई है. इसका सीधा सा मतलब है कि औसतन भारतीय महिलाएं इतने कम बच्चे पैदा कर रही हैं कि यह बिना माइग्रेशन (प्रवास) के अगली पीढ़ी में जनसंख्या के आकार को बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है.
युवा आबादी का महत्व और जीवन प्रत्याशा
धीमी जन्म दर के बावजूद भारत की युवा आबादी महत्वपूर्ण बनी हुई है. रिपोर्ट के अनुसार:
0-14 आयु वर्ग में 24%
10-19 आयु वर्ग में 17%
10-24 आयु वर्ग में 26%
68% आबादी 15-64 आयु वर्ग की है.
बुज़ुर्ग आबादी (65 और उससे ज़्यादा) 7% है.
2025 के हिसाब से जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 71 साल और महिलाओं के लिए 74 साल होने का अनुमान है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत को मध्यम आय वाले देशों के समूह में रखा गया है जो तेज़ी से डेमोग्राफिक बदलाव से गुज़र रहा है. यहाँ जनसंख्या दोगुनी होने का अनुमान अब 79 साल है.
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से मिली मदद
यूएनएफपीए भारत प्रतिनिधि एंड्रिया एम. वोजनार ने कहा, भारत ने फर्टिलिटी रेट को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है जो 1970 में प्रति महिला लगभग पांच बच्चों से आज लगभग दो बच्चों तक हो गई है. उन्होंने इस प्रगति का श्रेय बेहतर शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को दिया. वोजनार ने यह भी बताया कि इससे मातृ मृत्यु दर में भी बड़ी कमी आई है.