सदा रहने वाला ब्रह्म मैं हूँ, पंचभूतों का जगत मैं नहीं हूँ : महामंडलेश्वर परमानंद गिरि

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भोपाल

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग मप्र शासन द्वारा प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर 18 हरिश्चंद्र मार्ग स्थित एकात्म धाम शिविर बुधवार को वेदांत की दिव्यता और संगीत की मधुरता से भरपूर रहा। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के न्यासी सदस्य युग पुरुष महामंडलेश्वर परमानंद गिरि जी ने वेदांत और उपनिषदों की गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा, “सदा रहने वाला ब्रह्म मैं हूँ, पंचभूतों का जगत मैं नहीं हूँ। जो सभी अवस्थाओं में प्राप्त है, वही ध्यान करने योग्य है।” साथ ही उन्होंने एकात्म धाम प्रकल्प की भूरि-भूरि प्रशंसा की और आचार्य शंकर के अद्वैत दर्शन और उनके योगदान का अवलोकन किया।

आज एक ओंकार साउंड्स ऑफ़ वननेस के चौथे दिवस पर सुप्रसिद्ध गायिका द्वय रंजनी गायत्री ने अपनी मधुर आवाज़ में आचार्य शंकर विरचित निर्वाण षट्कम, दक्षिणामूर्ति स्तोत्रम्, आदि का गायन प्रस्तुत किया। उनकी प्रस्तुति ने श्रोताओं को अद्वैत के सुरों से सराबोर कर दिया। इस आयोजन में अनेक साधु-संतों की उपस्थिति ने इसे और भी विशेष बना दिया।

आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती ने अद्वैत वेदांत के मर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा, “प्रक्रिया में द्वैत स्वीकार्य हो सकता है, किंतु प्रक्रिया की पूर्णता अद्वैत में ही है। भगवत्पाद शंकराचार्य ने ‘सौंदर्य लहरी’ के माध्यम से शक्ति को अभिव्यक्त किया। उन्होंने “राम ब्रह्म व्यापक जग जाना” चौपाई के माध्यम से रामायण में अद्वैत वेदांत की प्रासंगिकता को समझाया। हम धन्य हैं कि इस कालखंड में भी शंकर महिमा का श्रवण कर रहे हैं। यही शिव का सनातनत्व है।”

सेक्टर 18, हरिश्चंद्र मार्ग स्थित एकात्म धाम शिविर में आगामी दिनों में कठोपनिषद पर व्याख्यान, शास्त्रार्थ सभा और शंकर गाथा जैसे महत्वपूर्ण आयोजन होंगे, जो अद्वैत वेदांत के लोकव्यापीकरण के उद्देश्य से आयोजित होंगे।

 

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