आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी, चिट्ठी में त्वरित कार्रवाई की मांग की

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नई दिल्ली
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. चिट्ठी में उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) पर लगाए गए निराधार आरोपों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग की है. वाईएस जगन रेड्डी ने मुख्यमंत्री नायडू द्वारा तिरुमला लड्डू के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले घी की शुद्धता पर उठाए गए सवालों की कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि चंद्रबाबू नायडू के ये गैर-जिम्मेदाराना और राजनीतिक रूप से प्रेरित बयान करोड़ों हिंदू भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं और विश्व प्रसिद्ध टीटीडी की पवित्रता को धूमिल कर रहे हैं.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि टीटीडी में प्रसादम तैयार करने के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रक्रियाएँ और गुणवत्ता जांच की जाती हैं. उन्होंने बताया कि घी की खरीदारी में ई-टेंडरिंग प्रक्रिया, एनएबीएल-प्रमाणित लैब टेस्ट और कई स्तरीय जांच शामिल हैं. उन्होंने यह भी बताया कि तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के शासन के दौरान भी ऐसी ही प्रक्रियाएं लागू थीं.

वाईएस जगन ने चिंता व्यक्त की कि इन झूठे आरोपों से टीटीडी की प्रतिष्ठा और भक्तों के विश्वास को गंभीर नुकसान हो सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि वे चंद्रबाबू नायडू को उनकी हरकतों के लिए फटकार लगाएं और सच्चाई को उजागर करें ताकि भक्तों का विश्वास और आस्था बहाल हो सके. यह पत्र उस समय सामने आया है जब राज्य की नई सरकार के 100 दिन पूरे हो चुके हैं, और इसी दौरान चंद्रबाबू नायडू ने एक राजनीतिक बैठक में ये विवादास्पद टिप्पणी की थी.

यह टिप्पणी उस घटना के दो महीने बाद आई जब टीटीडी के कड़े गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के कारण घी के एक टैंकर को अस्वीकार कर दिया गया था. वाईएस जगन ने दोहराया कि चंद्रबाबू नायडू के निराधार दावे उनकी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने और अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का एक प्रयास हैं. वाईएसआरसीपी प्रमुख ने प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप की मांग की, ताकि तिरुमला मंदिर की पवित्रता सुरक्षित रहे और भक्तों की भावनाओं को कोई और नुकसान न पहुंचे.

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