छिंदवाड़ा में बना उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा महात्रिशूल, अयोध्या में होगी 2 फरवरी को स्थापना

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छिंदवाड़ा
 छिंदवाड़ा के एक छोटे से गांव में एक ऐसे त्रिशूल का निर्माण किया गया है, जिसे उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा त्रिशूल होने का दावा किया जा रहा है. इस त्रिशूल को उत्तर प्रदेश के अयोध्या मैं विघ्नेश्वर धाम शिव मंदिर में स्थापित किया जाएगा. छिंदवाड़ा से 2 फरवरी को त्रिशूल सनातन हिंदू एकता यात्रा निकाली जाएगी जिसमें श्री राम जन्मभूमि अयोध्या के शिव मंदिर में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े त्रिशूल की स्थापना की जाएगी. त्रिशूल को छिंदवाड़ा के आदि शक्ति दुर्गा माता मंदिर में दर्शन के लिए रखा गया है.

क्यों निकाली जा रही त्रिशूल सनातन हिन्दू एकता यात्रा
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में विघ्नेश्वर धाम के अमित योगी ने बताया कि, ''ये उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा त्रिशूल है, जो छिंदवाड़ा से बनकर अयोध्या जाएगा. त्रिशूल सनातन हिन्दू एकता यात्रा का प्रमुख संकल्प इसलिए लिया गया है. जिसमें

1- भारत गौरवशाली हिन्दू राष्ट्र घोषित हो.
2. गौ माता राष्ट्र माता घोषित हो
3. श्री अयोध्या काशी, मथुरा क्षेत्र में मांस मदिरा बन्द हो
4. श्री कृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण हो
5. हर हिन्दू घरों में शस्त्र-शास्त्र, गाय माता, भगवा ध्वज, ॐ स्थापित हो
6. हर हिन्दू के मस्तक पर चन्दन, सिर पर शिखा, हाथ में कलावा स्थापित हो
7. हर घरों में तुलसी माता, संध्या दीपक, शाम को परिवार सहित रामचरित मानस पाठ हो
8. हर मंदिर में हिन्दू समाज के सभी वर्गों द्वारा 365 पुजारी, यजमान जोड़े जाये जिससे समाजिक समरसता का भाव स्थापित हो.

1 साल में बनकर तैयार हुआ यूपी का सबसे बड़ा त्रिशूल
यात्रा के संयोजक ऋषि राज सिंह बैंस ने बताया कि, ''छोटे से गांव झिरलिंगा के सुशील विश्वकर्मा ने इसे बनाया जो 1 साल में बनकर तैयार हुआ है. इस त्रिशूल की ऊंचाई 60 फीट, चौड़ाई 11 फीट और वजन 700 किलो है जो पूरी तरीके से स्टील से बनाया हुआ है. दर्शन के लिए त्रिशूल को आदि शक्ति दुर्गा मंदिर में रखा गया है.''

2 फरवरी को आदिशक्ति दुर्गा मंदिर से त्रिशूल सनातन हिंदू यात्रा शुरू की जाएगी. त्रिशूल को विशेष वाहन से अयोध्या तक ले जाया जाएगा. लेकिन हर शहर में नगर भ्रमणकर शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसके तहत सिवनी, लखनादौन, जबलपुर, कटनी, सतना, रीवा, प्रयागराज, प्रतापगढ़, अमेठी, सुल्तानपुर और अयोध्या धाम में शोभायात्रा निकालने के बाद विघ्नेश्वर शिव मंदिर में स्थापित किया जाएगा.

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