शराब की खपत में गिरावट, लेकिन बढ़ रहा है गांजा सेवन—क्या यही है असली वजह?
नई दिल्ली
2025 में कई ऐसी रिपोर्ट आई हैं, जिसमें पता चला है कि लोगों का शराब से मोहभंग हो रहा है. ऐसे ही एक रिपोर्ट हाल ही में कर्नाटक से आई है, जिसमें बताया गया है कि कुछ महीनों से शराब की बिक्री लगातार कम होती जा रही है. इस रिपोर्ट में साल 2024 से तुलना की गई है और बताया गया है कि शराब की बिक्री कम हो गई है. खास बात ये है कि शराब की बिक्री कम होने पर शराब व्यापारियों का कहना है कि गांजे, चरस ज्यादा बिकने से शराब की बिक्री कम हो गई है. ऐसे में जानते हैं कि क्या सही में ऐसा हो सकता है और ऐसा क्यों कहा जा रहा है…
क्या लोग कम पी रहे हैं शराब?
सितंबर आखिरी में एक रिपोर्ट में बताया था कि केरल में शराब की बिक्री दस सालों में काफी कम हो गई है. वहां के मंत्री एमबी राजेश ने विधानसभा में बताया था कि 2011-12 में शराब बिक्री 241.78 लाख केस (शराब की बोतलें) थीं जो 2024-25 में घटकर 228.6 लाख रह गई. ऐसे ही कर्नाटक से जुड़ी रिपोर्ट आई जिसमें बताया जा रहा है कि कर्नाटक में पिछले 7 महीनों में शराब की बिक्री काफी कम हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 में अप्रैल से अक्टूबर में जो बिक्री 407 लाख थी, वो इस साल 403 लाख है.
वहीं पूरे भारत के हिसाब से देखें तो रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आबादी का पांचवा हिस्सा शराब पीता है यानी करीब 22.4 फीसदी लोग शराब पीते हैं. लेकिन, ये डेटा पहले के मुताबिक काफी कम हो गया है. साल 2025-16 में करीब 29.2 प्रतिशत लोग शराब पीया करते थे, जो अब काफी कम हो गया है. ये डेटाकेंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से दिया गया था.
कुछ राज्यों में पीने वालों की संख्या औसत से काफी ज्यादा है. जैसे गोवो में 59.1 फीसदी पुरुष, अरुणाचल प्रदेश में 56.6 फीसदी, तेलंगाना में 50 फीसदी, झारखंड में 40.4 फीसदी, ओडिशा में 38.4 फीसदी, सिक्किम में 36.3 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 35.9 फीसदी, तमिलनाडु में 32.8 फीसदी, उत्तराखंड में 32.1 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 31.2 फीसदी, पंजाब में 27.5 फीसदी, असम में 26.5 फीसदी, केरल में 26 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 25.7 फीसदी लोग शराब पीते हैं.
2015-16 में किए गए NFHS-4 के अनुसार, भारत में 15-49 साल की उम्र की महिलाओं और पुरुषों में शराब पीने वालों का प्रतिशत 1.2 प्रतिशत और 29.2 प्रतिशत था. 2019-21 में किए गए NFHS-5 के अनुसार, यह प्रतिशत घटकर महिलाओं के लिए 0.7 प्रतिशत और पुरुषों के लिए 22.4 प्रतिशत हो गया.
क्या कह रहे हैं व्यापारी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, व्यापारियों को कहना है कि शराब की बिक्री में कमी इसलिए हो रही है, क्योंकि अब गांजे आदि की बिक्री बढ़ गई है. गांजा, चरस की बिक्री बढ़ जाने से शराब की बिक्री पर असर पड़ा है.
इस बारे में बेंगलुरु अर्बन डिस्ट्रिक्ट लिकर मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेश ने बताया, 'कर्नाटक में हर साल ड्यूटी बढ़ा दी जाती है. अगर हर तिमाही में 15-20 बढ़ते हैं, तो कंज्यूमर कम हो जाते हैं. बीयर पर ड्यूटी बढ़ा दी गई है. ऐसे में लोग ड्रग्स की तरफ जा रहे हैं. पहले यहां से आंध्र को शराब एक्सपोर्ट होती थी, हम एक्सपोर्ट करते थे. लेकिन अब यह कम हो रही है. पुलिस काफी मारिजुआना जब्त करती रहती है. इतना सेवन होता है कि रोज काफी पकड़ा जाता है जितना हो सके ड्रग्स जब्त किए जाने चाहिए ताकि हमारा बिजनेस बढ़े.जरूरी चीजों की कीमतें भी बढ़ गई हैं, इन सब वजहों से कंज्यूमर शराब नहीं खरीद पा रहे हैं.'
क्या गांजे से कम शराब पीते हैं लोग?
ब्राउन यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि गांजा के सेवन से शराब की खपत में कमी हो सकती है. अमेरिकन जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित हुए रिजल्ट के हिसाब से कुछ वक्त के लिए शराब की बिक्री पर असर पड़ता है.
ब्राउन यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च में ये भी सामने आया है कि गांजा से शराब की इच्छा बढ़ने की जगह कम हो रही है. कई टेस्ट में सामने आया कि गांजा से उस समय शराब की तलब कम हुई और शराब की खपत कम हो गई. इसके बाद जब शराब मिलती है तो भी वो देरी से पीना शुरू करते हैं.
गांजा से कैसे शराब की खपत कम होती है, इसे लेकर 21 से 44 साल के लोगों के 157 वयस्क पर शोध किया गया, जो काफी शराब पीते थे और सप्ताह में कम से कम दो बार गांजा का सेवन करते थे. जब मारिजुआना की सिगरेट पी तो कुछ घंटों तक उन्होंने अपनी पसंदीदा शराब नहीं पी. उन्होंने बाद में भी काफी कम शराब पी और नॉर्मल के मुकाबले 27 फीसदी तक कम शराब पी.
इसके अलावा शराब बिक्री कम होने के पीछे कई कारण हैं, जिसमें ड्राई स्टेट में बढ़ोतरी, हाइवे पर शराब दुकानें ना होने के नियम, टैक्स में बढ़ोतरी आदि भी शामिल हो सकते हैं.
