ग्वालियर के बुद्ध विहार में 25000 लोगों को ईश्वर को न मानने और पूजा नहीं करने की शपथ दिलाई गई
ग्वालियर
ग्वालियर में एक बौद्ध धर्म सम्मेलन में विवाद हो गया। सम्मेलन में लोगों को हिंदू देवी-देवताओं को न मानने की शपथ दिलाई गई। यह सम्मेलन भितरवार के धाखड़ खिरिया में हुआ। इसमें 'मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को ईश्वर नहीं मानूंगा' जैसी शपथ दिलाई गई।
तीन दिवसीय सम्मेलन का हुआ था आयोजन
96 गांव जाटव समाज सुधार समिति ने 6 से 8 जून तक इस तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया था। इस घटना के बाद विवाद शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। वहीं, आयोजकों का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी धर्म का अनादर करना नहीं था। पुलिस का कहना है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ कही गई बात
दरअसल, सम्मेलन में लोगों को शपथ दिलाई गई कि वे हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानेंगे और उनकी पूजा नहीं करेंगे। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में बौद्ध धर्म के उपदेशक भदंत शाक्यपुत्र सागर महाथेरो ने लोगों को शपथ दिलाई। सागर महाथेरो द बुद्ध भूमि धम्मदूत संघ भोपाल के अध्यक्ष हैं।
इन बातों की दिलाई शपथ
शपथ में लोगों से कहा गया कि मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा, न मैं इनकी पूजा करूंगा। मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और उनकी पूजा कभी नहीं करूंगा। मैं गौरी, गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी-देवताओं को नहीं मानूंगा और पूजा नहीं करूंगा।
भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार नहीं
शपथ में यह भी कहा गया कि मैं ईश्वर ने अवतार लिया है, इस पर विश्वास नहीं करूंगा। मैं ऐसा कभी नहीं मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं। ऐसे प्रचार को मैं पागलपन और झूठा प्रचार मानता हूं। मैं कभी श्राद्ध नहीं करूंगा और ना ही पिंडदान करूंगा। मैं बौद्ध धर्म के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं करूंगा। मैं कोई भी क्रिया कर्म ब्राह्मणों के हाथ से नहीं कराऊंगा।
सम्मेलन में शामिल होने निमंत्रण दिया गया
भितरवार की 96 गांव जाटव सुधार समिति का समाज में काफी वर्चस्व है, जिसमें हजारों लोग विश्वास रखते हैं। समिति समाज के कई अहम मुद्दों और फैसलों में अपना दखल रखती है। समिति ने तीन दिवसीय विशाल बौद्ध धम्म महासम्मेलन का आयोजन करना तय किया। अध्यक्ष रूपेंद्र वर्मा, उपाध्यक्ष रूपेश बौद्ध, सचिव कुलदीप मौर्य सहित पदाधिकारियों ने 4 महीने तक इसकी तैयारी की। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी समाज के लोगों को यहां आने का निमंत्रण दिया गया।
बताया जा रहा है कि डबरा, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भोपाल, झांसी के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग आए थे। 6 जून को जब कार्यक्रम की शुरुआत हुई तो 5 से 7000 लोग थे। दूसरे दिन 12000 लोग शामिल हुए। तीसरे और आखिरी दिन 25000 लोग महासम्मेलन में शामिल हुए।
सैकड़ों लोगों ने ली शपथ
इस बौद्ध धम्म महासम्मेलन में सैकड़ों लोगों ने शपथ ली। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद लोगों ने इस पर आपत्ति जताई। सम्मेलन के आयोजकों का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी भी धर्म का अनादर करना नहीं था। 96 गांव जाटव सुधार समिति के अध्यक्ष रूपेंद्र वर्मा ने कहा कि इस आयोजन का मकसद समाज में फैली बुराइयों को दूर करना था। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर यह खबर गलत है कि डेढ़ लाख लोगों ने धर्म परिवर्तन किया है।
इस मामले पर एसडीओपी जितेंद्र नगाइच ने मीडिया से कहा कि उन्हें अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
पुराने धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाने को कहा
भदंत शाक्यपुत्र सागर महाथेरो (अध्यक्ष द बुद्ध भूमि धम्मदूत संघ भोपाल) ने लोगों को शपथ दिलाई। इसमें कहा गया कि वे ब्रह्मा-विष्णु-महेश को ईश्वर नहीं मानेंगे। न ही उनकी पूजा करेंगे। यह भी कहा गया कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार नहीं हैं। शपथ में ब्राह्मणों से कोई काम नहीं कराने और पुराने धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाने की बात कही गई।
इस मामले में भदंत शाक्यपुत्र सागर महाथेरो से उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए संपर्क किया, लेकिन बात नहीं हो सकी।
फेसबुक पोस्ट से हुई विवाद की शुरुआत विवाद की शुरुआत फेसबुक के उस पोस्ट से हुई, जब दीपक बौद्ध नामक युवक ने अपने पेज पर लिखा कि 25000 दलित परिवारों ने छोड़ा हिंदू धर्म। हिंदुओं के देवी-देवताओं को ना पूजने का निर्णय लिया है।
बताया जा रहा है कि ग्वालियर हाईकोर्ट में हिंदू धर्म के वकील लोग बाबा साहब की मूर्ति का विरोध कर रहे हैं तो हम इनके देवताओं को क्यों पूजेंगे। इसके साथ ही युवक ने भदंत शाक्यपुत्र सागर महाथेरो के शपथ दिलाए जाने का वीडियो शेयर किया। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों के कमेंट्स आने लगे।
बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया गया
आयोजन समिति के रूपेंद्र वर्मा का कहना है कि कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वास को दूर करना था। यहां बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराया गया था। किसी भी धर्म का अनादर करना उद्देश्य नहीं था। सोशल मीडिया पर इस बात को धर्मांतरण के रूप में पेश करना पूरी तरह गलत है।