16 या 17 सितंबर: कब है इंदिरा एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और पारण समय

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हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. सालभर में कुल 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी की अपनी धार्मिक मान्यता होती है. पितृपक्ष में आने वाली एकादशी को बेहद पवित्र माना गया है. इस एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजा पितरों को समर्पित होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

कब है इंदिरा एकादशी 2025

द्रिक पंचांग के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर, बुधवार को रखा जाएगा. एकादशी तिथि की शुरूआत सुबह 12 बजकर 21 मिनट से होगी और इसका समापन रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा. इस दिन व्रत रखा जाएगा और पारण अगले दिन यानी 18 सितंबर को किया जाएगा. पंचांग के अनुसार, 18 सितंबर को सुबह 06:07 से 08:34 बजे के बीच स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ के बाद व्रत खोल सकते हैं.

इंदिरा एकादशी का महत्व

इंदिरा एकादशी को श्राद्ध एकादशी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और तर्पण करने से जातक के पापों का नाश होता है और उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा करने से साधक को सुख-समृद्धि और शांति मिलती है. माना जाता है कि इस व्रत को करने वाला जातक सांसारिक सुखों का आनंद लेने के बाद अंत में बैकुंठ धाम को प्राप्त करता है.

पूजन विधि

इस व्रत की पूजा विधि भी विशेष मानी गई है. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. पितरों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें. इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित कर दीपक जलाएं. उन्हें पीले फूल और मिठाई अर्पित करें क्योंकि पीला रंग श्रीहरि विष्णु को अत्यंत प्रिय है. इसके बाद पूजा सामग्री चढ़ाकर व्रत कथा सुनें और अंत में विष्णुजी की आरती कर प्रसाद बांटें.

पितरों की शांति के लिए करें इन चीजों का दान

पितरों की शांति और संतुष्टि के लिए इस दिन दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन घी, दूध, दही और अन्न का दान करने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि होती है. साथ ही जरूरतमंदों को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है.

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